Monday, 11 March 2019

पृथकत्व और एकत्व,,,,



पृथकत्त्व और एकत्त्व
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होती है महत्त भूमिका
मान्यताओं
धारणाओं
परिकल्पनाओं की
ज़िंदगी को देखने में,,,,,,

पृथकत्त्व :
जीवन यात्रा के
अधिकांश राही
अपनाते हैं इस धारणा को
'शायद या शायद नहीं' के
ऊहापोह में,
कर देते हैं व्यतीत
जीवन समस्त
जुड़े बिना
स्वयं और विराट से,,,,,

एकत्व :
होता है समाहित इसमें
देखना क्षण प्रतिक्षण
संभावनाओं और सकारात्मकता को
करते हुये भरण विच्छेदों का,
सच में तो यह है खोज
उन छद्म भेदों की
नहीं है जिनका कोई भी अस्तित्व
आरम्भ से ही,,,,

यात्राएँ जीवन की
होती है खेल
इन्हीं चिंतनों का
जो बनाते रहते हैं
हम यात्रियों के लिए
नाना परिभाषाएँ
भेद अभेद
पृथकत्त्व एकत्त्व की,,,,,,

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