गद्य रचना
********
दो ख़्वाब : क़िस्सा मुल्ला नसरुद्दीन का.....
++++++++++++++++++++++++
मुल्ला नसरुद्दीन सुबह-सुबह चाय पीते समय अख़बार पढ़ते बड़ा ही शरारती होकर अपनी बीवी से बोला, "कहना तो नहीं चाहिए, लेकिन तुझसे मैं कुछ भी छिपाना भी नहीं चाहता। दुख तुझे होगा, मगर ध्यान रखना यह केवल सपने की बात है, यह कोई सच नहीं है. नाहक तूल मत दे देना. तिल का पहाड़ मत बना लेना. इधर कुछ अरसे से रोज़ रात मेरे ख़्वाब में तेरी सहेली रुखसाना आती है."
बीवी तिलमिला गई. ख़्वाब में ही सही, यह कोई बात हुई. जलन की अगन जग गयी. चाय की ट्रे को वह ज़ोरों इधर उधर करने लगी. भूचाल सा आ गया था.
कहा मुल्ला ने, "अरे मैंने तो पहले ही कह दिया था कि यह महज़ ख़्वाब की बात है, रात गयी और बात गयी."
बीवी ने कहा, " मियाँ, तो फिर तुम भी ज़रा सुन लो. मैं भी कहना नहीं चाहती थी. चलो बताओ मेरी सहेली अकेली ही दिखाई पड़ती होगी ना सपने में."
मुल्ला ने कहा, " यह बात तो सच है, लेकिन तू इस भीतरी बात को कैसे जानती है."
बीवी ने आँख मारते हुए कह दिया, "अमाँ बात बस इत्ती सी है. उसका हबी फ़रीद तो मेरे सपने में आता है. अकेली ही तो आएगी ."
मुल्ला भन्ना गया. चुन चुन कर ऊँची आवाज़ में उसे बेवफ़ा, बेग़ैरत, गिरी हुई और ना जाने क्या क्या कहने लगा. हाथ भी उठा लिया उसने मारने को.🤣🤣🤣🤣🤣🤣
********
दो ख़्वाब : क़िस्सा मुल्ला नसरुद्दीन का.....
++++++++++++++++++++++++
मुल्ला नसरुद्दीन सुबह-सुबह चाय पीते समय अख़बार पढ़ते बड़ा ही शरारती होकर अपनी बीवी से बोला, "कहना तो नहीं चाहिए, लेकिन तुझसे मैं कुछ भी छिपाना भी नहीं चाहता। दुख तुझे होगा, मगर ध्यान रखना यह केवल सपने की बात है, यह कोई सच नहीं है. नाहक तूल मत दे देना. तिल का पहाड़ मत बना लेना. इधर कुछ अरसे से रोज़ रात मेरे ख़्वाब में तेरी सहेली रुखसाना आती है."
बीवी तिलमिला गई. ख़्वाब में ही सही, यह कोई बात हुई. जलन की अगन जग गयी. चाय की ट्रे को वह ज़ोरों इधर उधर करने लगी. भूचाल सा आ गया था.
कहा मुल्ला ने, "अरे मैंने तो पहले ही कह दिया था कि यह महज़ ख़्वाब की बात है, रात गयी और बात गयी."
बीवी ने कहा, " मियाँ, तो फिर तुम भी ज़रा सुन लो. मैं भी कहना नहीं चाहती थी. चलो बताओ मेरी सहेली अकेली ही दिखाई पड़ती होगी ना सपने में."
मुल्ला ने कहा, " यह बात तो सच है, लेकिन तू इस भीतरी बात को कैसे जानती है."
बीवी ने आँख मारते हुए कह दिया, "अमाँ बात बस इत्ती सी है. उसका हबी फ़रीद तो मेरे सपने में आता है. अकेली ही तो आएगी ."
मुल्ला भन्ना गया. चुन चुन कर ऊँची आवाज़ में उसे बेवफ़ा, बेग़ैरत, गिरी हुई और ना जाने क्या क्या कहने लगा. हाथ भी उठा लिया उसने मारने को.🤣🤣🤣🤣🤣🤣
No comments:
Post a Comment