Thursday, 13 December 2018

ले चल साथ मुझे : विजया

थीम सृजन 
(अंधेरे उजाले)
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ले चल मुझे अपने साथ...
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ले चल मुझे 
अपने साथ,
उन सपनों तक 
जो छूते रहते हैं 
तुम्हारे दिन को,

उन रंगों तक 
जो भर रहे हों 
तुम्हारी आँखों को,

उन लमहों के 
उजालों तक 
जो रोशन करते हैं 
तुम्हारे दिल को,

मैं प्यासी हूँ 
उस अमृत की 
जो बह रहा है 
तुम्हारे दिल की 
गहराइयों में.....

ले चल मुझे 
अपने साथ, 

अपनी रातों के 
उन अंधेरों तक भी 
जो गुम है तुम्हारे 
वजूद में,

नवाजों मुझे 
अपने दर्द
अपनी मासूमियत 
अपनी तकलीफ़ों के 
अफ़सानों से....

ले चल मुझे 
अपने साथ,

ख़रगोश के बिल सी 
अपनी संकीर्णता तक 
और फ़िर 
अपनी आसमान सी 
विशालता तक,

ताकि समझ सकूँ 
मैं तुम को 
और ज़्यादा....

मैं चाहती हूँ देखना
कैसे तुम्हारी 
व्याकुल रूह 
हो जाती है स्थिर और शांत,

देखना है मुझे 
कैसे समा लेती है 
तुम्हारी आँखें 
हर अंधेरे और उजाले को 
ख़ुद में.....

बरस रही है 
मेरी आँखें 
दुख से नहीं,
महसूस कर के 
एक आनन्द 
सुख और शांति को 
जो तेरे साथ होने के 
एहसासों का है....












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