Friday 8 February 2019

आनंद : विजया

शब्द सृजन : आनन्द
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आनंद.....
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क्या होता है आनन्द ?
आपके 'हेडफ़ोन्स' में सुनता मनचाहा संगीत ?
एक कोमल बालक का भोला सा चेहरा ?
अपनी अस्थियों में आया नया सामर्थ्य ?
जीवन में पहली बार हंस हँसकर ठहाके लगाना ?
नाटक में हमारी भूमिका की भरपूर प्रशंसा होना ?
किसी राह भटके अनजान को प्यार देना ?

मेरा तो सोच है
आनन्द ये सब हैं और इनमें से कोई भी नहीं
आनन्द तो प्राप्य है
छोटी सी छोटी बात में,
आनन्द तो है स्वयं के सत्व में,
केवल और केवल मात्र
स्व की अनुभूति में,
सच तो यह है कि
हम हो सकते हैं प्राप्त आनन्द को
हो कर विकसित
हो कर स्पष्ट
हो कर होशमंद
सहज स्वीकृता बन कर.....

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