Friday 6 March 2015

तुलसी

तुलसी 
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तुम को भी
रोप दिया गया है 
तुलसी चौरे में,
एक आला भी तो है
जलाया जाता है
जहाँ दीया
प्रकाश जिसका
रखा जाता है
सीमित
मानो यूँ ही
बांध कर
स्वीकारना हो
सत्व तेरा..
लीपा पोता भी
जाता है
कुछ आँका भी
जाता है
लेकिन यह सौन्दर्यबोध भी
आधीन है
इस मान्यता के
बनी रहोगी तुम
तुलसी बस आँगन की,
इसी शर्त पर ही तो
तुम को
पूजा जाता है
सींचा जाता है
किया जाता है
महिमा मंडित...
जगते हैं
हर वर्ष जब देव
रचाया जाता है
'विवाह' तेरा
उसी सजायाफ्ता के साथ
किया था जिसने
खंडन
तुम्हारे सतीत्व का,
रखा जा सके ताकि
'ओफिसियली'
साथ उसके जो था
गुनाहगार तुम्हारा,
सच है
समरथ को नहीं दोष गुसाईं
दोष लगे तो समरथ नाहीं ..

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