vinod's feels and words
Friday, 11 May 2018
ताश के महल : विजया
ताश के महल
+++++++
लगते ही ठेस
ज़रा सी
गिर जाते हैं मकान
बिना नींव के,
खुले आसमाँ में
जीने वाले !
क्यों बस जाया करते हो
बार बार
ताश के पत्तों से
बने महलों में.....
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