vinod's feels and words
Friday, 11 May 2018
चेहरा : विजया
चेहरा...
++++
किया था शुरू मैंने
खुरचना
उसके पोते हुए रंगों को,
उतर रहा था
सब कुछ
परत दर परत
उफ़्फ़ !
मेरे ईश्वर !
वहाँ कोई चेहरा ही तो
नहीं था ....😊
.
.
.
.
.
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.
.
आइना था
जिस पर मेरी ही डाली
धूल थी
जिसे मैं समझ रही थी
परतें ☺
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