vinod's feels and words
Sunday, 30 September 2018
बादलों की ओट में.....
बादलों की ओट में
खो जाना फिर से
चाँद का
प्यासी नज़रों का ढूँढते रहना
चंद अल्फ़ाज़
बात अपनी कहने को,
वो ही जगहें
वो ही राहें
वो ही फ़िज़ाएँ
नहीं दिख रहा था
तो बस चाँद का अक्स
गहरी झील के
हरे हरे पानी में,,,,,
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