Wednesday 3 January 2018

एक सफा ज़िन्दगी का,,,,,: विजया


एक सफा ज़िन्दगी का....

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महज एक वादे पर
लुटाने चले थे तुम वो सरमाया
जिसे सहेजा था कैसे कैसे
और हम तुम ने मिल कर
हो जाओ कहीं न जोगी
निकला था बामुश्किल ये डर
नहीं सोचा था
ज़ज़्बा ए रजपूती देगा दस्तक
एक बार फिर तेरे दर पर...

वो चाय की प्यालियों पर होने वाली बहसें
वो मेरे तकरार भरे शिकवे 
वो तेरे इसरार भरे दिलासे
तेरी आँखों में बसे
सुकून के समंदर
वो तेरे संजीदा दोस्त
या यारां मस्त कलंदर
कभी खिज़ा नहीं हरदम बहार
प्यार ही प्यार बेशुमार
मेरा बताना और तुम्हारा सुनना
टहनी पर बैठी नन्ही चिड़िया के किस्से
और भी ना जाने कुदरत के 
कितने जाने अनजाने हिस्से
फूलों के रंगों को पहचानने की पहेलियाँ
मेरी बचपन की या आज की सहेलियां
गानों के किरदार पर पैसों की हार जीत
हर किसी को भाती तेरी मेरी प्रीत
मेरी जरा सी उदासी देख
तेरी अजीब सी कोमेडियां ओ कहकहे
वोे गुदगुदा देने वाले तेरे वाले जोक्स
और दिल से निकले ठहाके
कुछ तेरी कुछ मेरी अनकही बातें
तेरी तेरे चाहने वालों से सॉलिड मुलाक़ातें
घर लौटते हुए पूछना क्या लाऊँ
बिन बताये मगर मैं मनपसंद ही पाऊँ
खबरों,फिल्मो,इंसानों और देश दुनिया पर
ना ख़त्म होने वाली चर्चाएं
कभी कुरान की आयतें
कभी वेदों की रिचाए
एक अडिग भरोसा की तुम रहोगे
तुम ही बन कर
तेरा हर एक करतब होता 
सूझ बूझ से छन कर
तेरी कोमल सी नज़्मे
या सीधी सपाट फिलोसोफी
हर बात मन भावन
क्या ओरिजिनल क्या कॉपी
तू रहता गीतों ग़ज़लों और किताबों में
दौलत और शोहरत से दूर
उम्दा ज़िन्दगी के ख्वाबों में
हर शै से मोहब्बत
हर मज़लूम से हमदर्दी
सुहाना तेरा साथ 
गर्मी हो या सर्दी
न जाने किस ,'तत्व चर्चा' की
वेदी पर बलि चढ़ गये थे
तुझे प्यार करने वाले भी
तुम से दूर होते चले गये थे
ज़िन्दगी के इस दौर में कोई भी
तुम जैसे नहीं थे
तुम होने लगे थे वो
जो तुम कभी भी नहीं थे....

ना जाने कैसे रास आया था
तुम को वो सब खतो किताबत
करते रहे थे ताजिंदगी
जिसकी तुम ही खिलाफत
अचानक तुम में कोई और उभर आया था
ज़ज़्बात, इल्म और अना से बनी
उस मय का तुम पर असर हो आया था
खोज रही थी फिर से मैं
तुम ही में तुम को
लगने लगा था
कहीं खो ना दूँ फिर से मैं तुम को...

ओ हमनवा ओ रहनुमा !
गुलिस्तां और आसमां !
सज़दे में झुक जाऊं 
ऐसे हो तुम एक मुज्जस्मा
ले आओ वो खुशियां 
ऐ मेरे अर्मुगां !
तुम हो जैसे रहो 
मेरे मेहरबां के हमजुबां !
आना तेरा मुबारक
औ लौट आने वाले
खुशिया मना रहे हैं 
तुझे दिल से चाहने वाले...

(हमनवा=दोस्त, मुज्जस्मा=मूर्ति, रहनुमा=रास्ता बताने वाला, गुलिस्तां=बगीचा, हमजुबां=दोस्त,अर्मुगां=उपहार)


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