Sunday 14 February 2016

हम हम हैं हम तुम नहीं... : विजया


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आँख मेरी पुरनम नहीं
मैं खुश हूँ कोई गम नहीं.

मिलनी है मंजिल मुझको
मेरी राह में पेचोखम नहीं.

सुकून मेरा छीन ले मुझसे
किसी शै में ऐसा दम नहीं.

है पाकीज़गी मौज़ू दिल का
आबे गंगा या जमज़म नही.

रहता है खुदा दिलों में ही
घर उसका दैरो हरम नहीं.

घबराया क्यूँ आईने से तू
ज़िन्दगानी कोई रम नहीं.

कर ना बर्बाद रोशनाई तू
यहाँ जाहिलों का ज़म नहीं.

लिखने को लिख दे कुछ भी
दिल ना छुए वो कलम नहीं.

गवारा नहीं बनावट हमको
हम हम हैं हम तुम नहीं.

अगला शब्द : जाहिल
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मायने :
पुरनम=आंसू भरी, पेचोखम=मोड़ और घुमाव,मौजू=विषय,
आब=पानी, जमजम=मक्का का पवित्र कुंआ,
दैरो हरम=मंदिर मस्जिद, रम=डर के मारे भागना,
रोशनाई=स्याही, ज़म=मीटिंग/गेदरिंग जैसे अपना यह ग्रुप
गवारा=रुचकर

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