Tuesday 30 June 2015

आज के बुद्ध..

आज के बुद्ध..
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जटिलताएं जीवन की 
कुछ घटी कुछ अनघटी 
घेर लेती है जब
ज़ेहन को 
या आता है दिल में 
करें कुछ ऐसा 
जो हो 
बिलकुल ही 'एक्सक्लूसिव'
होती है तब शुरू 
तलाश पञ्च सितारा गुरुओं की 
जो योग ध्यान और थेरेपी के नाम 
बेचते हैं 
वह सब कुछ 
जिसे चाहता है 
हमारा अवचेतन मन 
मगर 
कह नहीं पाता 
कर नहीं पाता
हमारा यह 'पार्थिव तन' ,
सत्य के नाम होते हैं
बस ' रैपर ' 
करके तथ्यों को 
तरह तरह से 'टेम्पर'
लपेट कर 
चबाती चबाती 
अंग्रेजी में 
करते हैं जब पेश 
योगा, तंत्रा, हीलिंग, मेडिटेशन
और उनमें ढका ऐश 
भटक जाते हैं स्वयंभू प्रबुद्ध 
और 
डाल कर अद्रश्य पट्टा
उनकी गर्दन में 
चलाने लगते हैं 
झुण्ड में 
हमारे आज के 
तथाकथित बुद्ध...

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