Monday, 1 June 2015

दोष : नीरा

दोष
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जीवन के इस अंतहीन चक्र में..
अभिमन्यु भाँति
ना मिले मार्ग तो
दोष नहीं ..
ना मिले पथिक कोई ..
तो दोष नहीं ..
अकेले ही आए इस पृथ्वी पे..
अकेले ही
आगे जाना है...
साथ हैं हमारे संगी -साथी ..
जो हो इसका भ्रम तो
किसी का दोष नहीं...
किनारों की खोज में
लहरें जो हो जायें विलीन ,
यह तो कोई दोष नहीं ...!!
जो समझ जायें मनुष्य इस को
फिर तो जीवन सरल हो..
बस ..
कही कोई दोष नहीं .

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