भंगित वीणा के तारों से.....
+ + + +
तारों से
भंगित वीणा के
संगीत कहाँ से
आयेगा ?
अंधे दर्पण में
मीत मेरे
प्रतिबिम्ब कहाँ से
आयेगा ?
तुम को है
परवाह मेरी
क्या यही मुझे
बहलायेगा ?
कसम तुम्हे
उन रातों की
जो मैंने जाग
बिताई थी,
कसम तुम्हे
उस हिचकी की
जो याद में तेरी
आई थी,
जो टूट गए
और बिखर गए
उन सपनों को कौन
सजायेगा ?
दिल की
सूनी बगिया में
फूलों को कौन
खिलायेगा ?
उत्तर मेरे इन
प्रश्नों के
नयनों में तेरे
उतरेंगे,
स्पंदन तुम्हारे
अंतस से
मेरे अंतस तक
प्रसरेंगे
तुम बोलो कुछ
या मौन रहो
अस्तित्व मुझे
समझाएगा,
भंगित वीणा के
तारों से
अष्ठम सुर
लहरायेगा....
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तारों से
भंगित वीणा के
संगीत कहाँ से
आयेगा ?
अंधे दर्पण में
मीत मेरे
प्रतिबिम्ब कहाँ से
आयेगा ?
तुम को है
परवाह मेरी
क्या यही मुझे
बहलायेगा ?
कसम तुम्हे
उन रातों की
जो मैंने जाग
बिताई थी,
कसम तुम्हे
उस हिचकी की
जो याद में तेरी
आई थी,
जो टूट गए
और बिखर गए
उन सपनों को कौन
सजायेगा ?
दिल की
सूनी बगिया में
फूलों को कौन
खिलायेगा ?
उत्तर मेरे इन
प्रश्नों के
नयनों में तेरे
उतरेंगे,
स्पंदन तुम्हारे
अंतस से
मेरे अंतस तक
प्रसरेंगे
तुम बोलो कुछ
या मौन रहो
अस्तित्व मुझे
समझाएगा,
भंगित वीणा के
तारों से
अष्ठम सुर
लहरायेगा....
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