Tuesday 27 September 2016

अवतार : शब्द का या अर्थ का


अवतार : शब्द का या अर्थ का
(अवतार सीरीज-२)
+ + + + + +
हास
परिहास
उपहास
अट्टाहास,
हास के
अवतार,
किन्तु
उपसर्गों ने
बदल दिए है
अर्थ हर रूप में,
नहीं जानती मैं
होते हैं
शब्दों के अर्थ या
अर्थों को रूप देने
हुआ करते हैं
शब्दों के अवतार ?
हो जाते हैं
किन्तु मनस्थितियां से
दिग्भ्रम और मतिभ्रम के अवतार,
मृदुल हास या परिहास
लगने लगता है उपहास,
देने लगती है
मैत्रीमय कोमल स्मिति
तीव्र व्यंग का आभास,
कह सकता है
मौन भी अनकहा
बता देती है
नयनों की उदासी
सब कुछ था जो सहा,
देने को सन्देश हर्ष का
आँख से आंसू बहा
पीर का नीर बन वही
दृग से झरता रहा,
अनुभूतियों के ये अवतार
कितने विरोधावासी है
अपने ही देश में रहते
बन कर ये प्रवासी है.

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