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माना यह जीवन अपना छोटी एक कहानी है
एहसास है पीड़ा का शिफ़ा मैंने कहाँ जानी है.
जीवन को बना ना पाये गुलज़ार हम सही में
कांटे कुछ बुहारे ये हकीकत ना अनजानी है.
सहअस्तित्व अधूरे सपनों का बना साथ अपना
जीने की प्रत्येक विद्या हमने तुम्ही से जानी है.
(बाहम अधूरे सपनों का बना है साथ अपना
जीने की हर वज़अ हमने तुम्ही से जानी है.)
ना टिका ठहर कर कोई दरियाऐ ज़िन्दगी में
है वेग तीव्र, लहर चंचल बहता हुआ पानी है.
मिला कर खुद को ही तुझमें पाया वुज़ूद मैंने
सब कुछ बसा है तुझमें बाकी सभी फानी है.
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