Friday, 2 September 2016

ऐसो निठुर बलम हमार.... : विजया



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समझ समझ के नाहीं समझे
ऐसो निठुर बलम हमार
का करें का ना करें री सखी
लटकत मोय पे एहि तरिवार ।। ऐसो ।।

भोर भये जब अंखिया खोले
हमका गुड मॉर्निंग ना बोले
ओन करे समसुंगजी के
ज्यूँ सौतन को इंतज़ार ।। ऐसो ।।

फेसबुक वॉटसअप में रमत है
वर्चुअल सनसार के ही जीवत है
नित नूंवो सनियास रचत वो
भयो मनुस जीवन निस्सार ।। ऐसो ।।

सखियन संग ज्यूँ रास रचावत
नित कुं खोवत नित कुं पावत
सबद खिलाड़ी रह्यो सदा सूं
है निगुन सगुन कलकार ।। ऐसो ।।

बनो मेरो सैंया बैग पाइपर
आकरसन अदभुत है साइबर
शहद है वो मदुमख्खी अनगिन
चहुँ दिसी महिमा अपरमपार ।। ऐसो ।।

हिरदे वांके परेम भरो है
सिक्को मेरो बहोत खरो है
भोळो शम्भू फ़क़ीर की फ़ित्रत
म्हारो जीवण है भरतार ।। ऐसो ।।

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