Wednesday 16 September 2020

ग़ैर और अपने,,,


ग़ैर और अपने,,,

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मिल जाते हैं 

राहे ज़िंदगी में ऐसे रहबर 

जो हमको हम से ही 

चुरा लेते हैं,,,


रहजन भी 

होते हैं ऐसे 

जो हम पे 

ख़ुद को लूटा देते हैं,,,


कैसे शुक्रिया करूँ 

अदा तेरा ऐ मौला 

ग़ैर हिम्मत देते हैं 

अपने डरा देते हैं,,,,


(रहबर=मर्गदर्शक, रहजन=लुटेरे)

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