Wednesday, 16 September 2020

आगमन प्रेम का : विजया

 

आगमन प्रेम का...

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हुए हम स्पर्शित जैसे 

एक देवदूत से 

होता है ऐसा ही 

आगमन प्रेम का 

जीवन में...


नहीं होते हैं आदी हम 

अदम्य साहस के 

तभी तो हो जाते हैं निर्वासित 

आनंद की अनुभूतियों से 

रहते हैं हम बने हुए बंदी 

अपने अकेलेपन के घेरे में 

जब तक 

नहीं चला आता है प्रेम 

दृष्टि में हमारी 

निकल कर 

अपने पावन मंदिर से,

होता है प्रेम प्रतिबद्ध 

करने को मुक्त हमें 

हमारे ही जीवन में...


होता है प्रवेश 

जब प्रेम का 

जीवन में हमारे 

चला आता है 

परमानन्द भी उसी रथ में 

लिए संग में 

प्रसन्नता की पुरानी स्मृतियाँ 

पीड़ा का प्राचीन इतिहास,

फिर भी सबल हैं यदि हम 

काट देता है प्रेम 

भय की बेड़ियों को 

जो जकड़े हुए हैं 

हमारी आत्मा को...


होते जाते हैं 

विमुक्त हम 

अपनी भीरुता की प्रवृति से,

आभा प्रेम के आलोक की 

देती है हमें प्रेरणा 

वीर होने की,

होता है अनुभूत अचानक 

कि चुका रहे हैं हम सब 

महँगा मूल्य प्रेम का,

फिर भी प्रेम ही तो है

जो कर पाता है हमें स्वतंत्र

हमारी अपनी ही 

साँकलों के बंधन से...


(माया ऐंजिलो-की कविता 'Touched By An Angel' से प्रेरित)

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