Tuesday 8 September 2020

मौन उसका : विजया

 

मौन उसका....

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महिमामय मौन उसका 

करता है अभिशांत आत्मा को..


सौंदर्यशाली मौन उसका 

करता  है आशीर्वादित प्राण को...


प्रशांत मौन उसका 

देता है सुख व्यथित हृदयों को...


त्वरित मौन उसका 

उठाता है प्रश्न प्रच्छन्न अंतर्धेय पर...


अतिविशिष्ठ मौन उसका 

उधेड़ देता है मतिभ्रमों को...


न्यायपूर्ण मौन उसका 

करता है आकलन सभी विषयों का...


वाकपटु मौन उसका 

उड़ा देता है सभी शब्दों को...


निरंतर मौन उसका 

कर देता है समाधान सभी प्रश्नों का...


पावन मौन उसका 

कर देता है मौन अस्मिता को...


असाधारण मौन उसका 

करता है आलोकित मस्तिष्क को...


राजसी मौन उसका 

करता है प्रज्ज्वलित ज्वाला को...


दीर्घ मौन उसका 

करता है विलंबित रात्रि-अवसान को...


रहस्यपूर्ण  मौन उसका 

बनाता है रहस्यदर्शी आभामंडल  को...


अनिवार्य मौन उसका 

करता है निष्फल समस्त संशयों को...


उत्कृष्ट मौन उसका 

पिछाड देता है हस्तक्षेप को...


शांतिमय मौन उसका 

है पूर्ववर्ती समस्त विजयों से...


शाही मौन उसका 

करता है सबल निर्बल को...


आकस्मिक मौन उसका 

करता है विस्मित अभिमान को...


अनुभूत्य मौन उसका 

करता है स्पर्श संधान का...


मूक मौन उसका 

करता है मिलन आतुर उतावले से...


शानदार मौन उसका 

धो डालता है सभी डरों को...


'लेज़र' सा मौन उसका 

कर देता है उपचार अँत:करण का...


उत्साहपूर्ण मौन उसका 

कर देता है 'ज़ूम' सम्पन्नता को...

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