Friday 16 June 2023

छद्म भावुकता और संवेदना

 छद्म भावुकता और संवेदना 

###############

कोई दो राय नहीं हो सकती, बालासोर-उड़ीसा के पास कोरोमण्डल एक्सप्रेस का हादसा एक दिल को विचलित करने वाली एक बहुत बड़ी दुर्घटना है. 


मानव पीड़ा और संवेदना ज्वार आ गया. जो विक्टिम हुए और उनके अपनों की पीड़ा गहरी.... स्थानीय उदारमना लोगों, श्रमिकों, प्रशासनिक कार्यकर्ताओं,  ज़िम्मेदार रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अपने रोल. विपक्ष के राजनीतिबाज़ों के स्टेटमेंट्स में बिंबित राजनैतिक रोटियाँ सेकने की प्रवृति और फिर सत्तापक्ष के जवाब सवाल एक अलग ही सीन जो गुड टेस्ट में नहीं जा रहा लेकिन जो है सो है. मानवीय भूल थी, लापरवाही या साज़िश सामने आ जाएगी बस वक़्त की बात है. हर हादसा कुछ सीखा देता है आगे ऐसा होने से बचने के क्या उपाय किए जाय... मानव विवेक हमेशा evolve करता रहता है. 


कल एक मित्र मिले, फ़ोन में हादसे के बहुत से  वीडियो लिए हुए. बोले : बहुत ग़मगीन हूँ,  मन नहीं लग रहा, नींद नहीं हो रही, चिंता में घुले जा रहा हूँ, स्ट्रेस्ड हूँ इत्यादि इत्यादि. 


मुझे एक "विदुषी" का वृतांत याद आ गया, सुशांत सिंह राजपूत की बेवक़्त मौत के समय कई दिन ऐसी ही बातें करती रही थी, अपने कोमल मन का नित्य नये शब्दों में उस दिन/रात की घटनाओं/सपनों की बात करती थी.😊


मनोविज्ञान और दर्शन के अध्ययन के साथ ज़िंदगी को सूक्ष्मता से नज़दीक से देखता हूँ इसलिए मुझे कच्ची या छद्म भावुकता और संवेदनशीलता का अंतर काफ़ी हद तक समझ में आ जाता है. कुछ देर बातें हुई और मैने मित्र को प्रपोजल दिया कल्ब चलते हैं तुम्हारे ग़म को ग़ायब करते हैं दो दो पेग हलक से उतारेंगे, अलग माहौल में अलग महसूस करेंगे....क्यों ठीक ना ?


कल हमने जो शाम गुज़ारी उसने फिर कच्ची/छद्म भावुकता और संवेदना का अंतर जता दिया. कुछ ज़्यादा हो गई थी😊मित्र को उनके घर छोड़ा तो अलविदा के समय उन्होंने कहा : "यार बिलकुल भी दिल नहीं है क्या तुम्हारे पास ? लगता है भावनाएँ तुम्हारी मर सी गई है, यह कोई दारू पीने का मौक़ा था. तुम्हारी बात टाल नहीं सकता था सो कंपनी के लिए तुम्हारे साथ चल दिया. anyways thanx for everything ! फिर मिलेंगे वीक एंड में और चर्चा करेंगे, तुम्हारी सोई हुई संवेदना को जगाना जो है."


मैने उनको बाँह थाम कर एलेवेटर तक पहुँचाया. १ से १३ तक के अंक वॉच करता रहा, पाँच मिनट रुका, ख़ाली एलेवेटर को बुलाया...देखा, कॉल किया, भाभी से कन्फ्रम किया....मित्र गुनगुनाते हुए गृह प्रवेश कर चुके थे.😊

No comments:

Post a Comment