Friday 16 June 2023

विवाह कुछ बातें : विजया

 विवाह : कुछ बातें 

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जब आप शादीशुदा होते हैं तो आप हमेशा यही सोचते हैं कि आपका रिश्ता कभी भी खत्म नहीं हो सकता. आप मानने लग जाते हैं कि चाहे जितनी भी कठिनाइयों का सामना करना पड़े हम एक जोड़े के रूप में उस से पार पा लेंगे. यह जज़्बा अच्छा है  लेकिन देखा गया है कि ऐसा सोचने के बावजूद भी आपस में आई कुछ दरारें ऐसी होती हैं जो गहरी और गहरी होती जाती हैं, तब भी जब हमें लगता है कि सब कुछ ठीक है. इसका एक बहुत बड़ा कारण है कि हम ईमानदार कोशिश तक नहीं करते जो कि हमारा पहला फ़र्ज़ है. इस राइट अप में मैं अपने अनुभव और ऑब्सर्वेशंस को शेयर कर रही हूँ. 


ज्यादातर शादियां जो अंत में बेकार और मृत हो जाती हैं, आमतौर पर छोटे मुद्दों का शिकार होती हैं जिन्हें जोड़े द्वारा नजरअंदाज कर दिया जाता है और समय पर हल नहीं किया जाता है. जैसा कि कहा जाता है, "जब आप एक दरार को ठीक नहीं करते हैं, तो आप एक दीवार का निर्माण करेंगे." 

कुछ मसले छोटी-छोटी दरारों की तरह हो जाते हैं जो धीरे-धीरे रिश्तों को नीचे ले आते हैं.ये दरारें गहरी खाई में बदल जाती हैं जो शायद कभी भी पाटी नहीं जा सकतीं, जिससे कई विवाह टूट जाते हैं. आमतौर पर कपल्स को पता होता है कि उनकी शादी पर कब आँधी तूफ़ान और बारिश होने लगी थी.जब वे अपने कभी के खूबसूरत रिश्ते के खंडहरों को देखते हैं, तो वे जानते हैं कि वे क्या कर सकते थे लेकिन उन्होंने किया नहीं.🥲


नीचे कुछ ऐसे मुद्दे दिए गए हैं जिन्हें अगर समय रहते ठीक नहीं किया जाय तो हमारे आपसी रिश्ते खत्म हो जाएंगे :


अधूरी उम्मीदें

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शादी करना इस बात की गारंटी नहीं है कि आपकी शीर्ष उम्मीदें पूरी होंगी. जब लोगों को वह नहीं मिलता है जो उन्होंने सोचा था कि शादी और उनके जीवनसाथी से उन्हें मिलेगा, तो वे निराश हो जाते हैं और अगर उनका इन कल्पित अपेक्षाओं से मोहभंग नहीं होता है, तो यह एक दरार की शुरुआत बन जाता है.


अतिपरिचय के दोष 

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जब लोग किसी रिश्ते में नए होते हैं, तो वे एक-दूसरे को खुश करने की पूरी कोशिश करते हैं. थोड़ा समय साथ गुज़ारने के बाद अतिपरिचय जैसी स्थिति आ जाती है जिसमें पात्र एक दूसरे को लगातार taken for granted लेना शुरू कर देते हैं. सोचने/करने लगते हैं कि जीवनसाथी के प्रति अब अच्छी अच्छी बातें अभिव्यक्त करने की ज़रूरत नहीं कुछ प्यारा प्यारा सा सुखद सा करना भी ज़रूरी नहीं..."हम फ़ॉर्मलिटी में विश्वास नहीं करते" या "हमारे बीच तो सब सहज है और अप्रयास है"  या " अब कुछ भी करने के लायक नहीं रह गया है" इत्यादि जुमलों की ओट में जो करणीय है उसे नहीं करते. सच बात तो यह है कि दूसरे के लिए सोचना ही बंद कर देते हैं.  यह रिश्ते में एक और दरार बन जाता है.


घमंड 

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जब एक पति या पत्नी यह सोचने लगते हैं कि वे अपने जीवनसाथी के लिए बहुत अच्छे हैं जो उनके योग्य नहीं है, तो एक दरार सी उभर आती है. कुछ लोग सोचते हैं कि उनके जीवनसाथी के लिए उनसे शादी हो जाना समनेवाले का एक बहुत बड़ा सौभाग्य है. वे यह भी कल्पना करते हैं कि वे बहुत अधिक कर रहे हैं और दूसरे को उन्हें हर समय दंडवत करना चाहिए और ख़ुद को

"बचाने "और "बनाए रखने"  के लिए उनका आभार मानना चाहिए, एहसानमंद होना चाहिए...आगे पीछे फिरना चाहिए.


ख़ुदगर्ज़ी 

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ख़ुदगर्ज़ी शादियों के लिए बहुत बड़ा कातिल साबित होती है. एक जीवनसाथी जो एक अकेले व्यक्ति की तरह अपने ही हितों का पोषण करने का व्यवहार करना जारी रखता है और दूसरे को शामिल किए बिना निर्णय और विकल्प बनाता है, वह ख़ुद ही आपस में दरार पैदा करने में लगा रहता है.


हवस

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शादी के बाहर संतुष्टि की तलाश. जब दरारें बढ़ने के लिए छोड़ दी जाती हैं, तो लोग घर के बाहर संतुष्टि तलाशने लगते हैं. वे दूसरों से लालसा करने लगते हैं जो उन्हें लगता है कि बेहतर साथी बन सकते हैं और उनकी यौन, भावनात्मक, भौतिक या अन्य जरूरतों को पूरा कर सकते हैं. इस मरीचिका में ना जाने कितने ही भटक कर ख़ुद को नष्ट कर देते हैं.


कठोरता/जड़ता

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जब एक या दोनों पति-पत्नी दूसरे से सीखने से इंकार करते हुए अपने अपने रास्ते में फंस जाते हैं, तो यह इस साझेदारी को कमजोर करता है. कुछ लोगों के लिए देखा गया है  वे विवाह में कुछ पूर्वाग्रहों से ग्रसित कोई राय बना लेते हैं जिसे  वे पूर्ण और अंतिम सत्य मानते हैं.  वे सीखने के लिए खुले नहीं होते हैं और  अपने जीवनसाथी को अपनी दृष्टि के अनुरूप बदलना चाहते हैं. वे अपने तौर तरीक़ों में अत्यंत कठोर होते हैं और इसके नतीज़तन  क्रमशः दरारें विकसित होते हुए कभी नहीं देख पाते हैं.


अप्रयाप्त कम्यूनिकेशन 

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कुछ घरों में, अप्रयाप्त या खराब या नहीं के बराबर कम्यूनिकेशन सबसे स्पष्ट दरार को पैदा कर देता है जिससे दिन रात निपटना पड़ता है.  यह ऐसा है जैसे कपल्स को सच्चा और प्रामाणिक होना मुश्किल लगता है. झूठ, बदतमीज़ी और ज़बानदराज़ी दिनचर्या का क्रम बन जाता है. सही ढंग से यदि आपस में बातचीत और शेयरिंग हो तो मज़ाल है क्या कि कोई भी विपरीत बात क़ायम रह सके.


शालीनता

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सफल विवाह ताज़िंदगी एक Work in Progress होता है..उसका Completion नहीं होता. यह दोनों के मुसलसल ईमानदार और महान प्रयासों का सबब होता है. कुछ लोग सोचते हैं कि शादी हो जाने के बाद, शादी को आगे बढ़ाने और उसे निरंतर अच्छा बनाने की कोई जरूरत नहीं होती,  रोमांस तो धीरे-धीरे मर जाता है और प्रेम  की जगह सांसारिक रूटीन ने ले लेता है. यह ग़लत एटीट्यूड दरार को लगातार बढ़ाता रहता है.


अपमान

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अपमान से बनी हुई दरार दूसरे दोषों की तुलना में तेजी से खाई में बदल जाती है.  सभी मनुष्य सम्मान और मान-सम्मान के लिए तरसते हैं और अगर घर में इसकी कमी होती है तो वे इसे कहीं और ढूंढ़ते हैं.


अपरिपक्वता

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शादी हो जाना कोई जरूरी नहीं कि वह किरदारों की परिपक्वता का प्रमाण हो. परिपक्व होने के लिए वर्ष बीता देना प्रयाप्त नहीं उसे तो दिन-रात..पल प्रतिपल होशमंदी से जीना होता है.  विवाह मानसिक दृष्टि से परिपक्व लोगों के लिए होता है क्योंकि इसमें जिम्मेदारियों के लिए एक परिपक्व दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है...अगर बेसिक्स स्पष्ट हो तो evolve हुआ जा सकता है.


हालाँकि विस्तार से नहीं जा रही लेकिन कारणों के साथ निवारण पर भी कुछ कहना बनता है. विवाह की सफलता के सबसे बड़े सूत्र मेरे जाने सिद्धांत रूप में ये हैं :


१. पति पत्नी एक दूसरे को दोस्त समझ कर जिये. सच्ची दोस्ती में सामाजिक पद बीच में नहीं आते.

२. परफेक्ट की उम्मीद करने की जगह प्रयाप्त का सूचना चाहिए.

३. साहेब का मंत्र/सूत्र यहाँ भी काम का है :

Awareness, Clarity और Acceptance (ACA)

४. शादी एक man made institution है. परमात्मा या प्रकृति की कृपा तो हर समय चाहिए लेकिन वहीं से हमें wholesale में बुद्धि और कर्म का वरदान अग्रिम मिला हुआ है उसको ज़िम्मेदारी से हमें ही इस्तेमाल करना होता है इसे सफल बनाने के लिए.


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साहेब, आप चाहें तो मेरे इस लिखे को इनपुट के रूप में विदुषी सीरीज़ वाले आपके प्रोपोज़्ड नावेल के लिए रख सकते हैं😍

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