Sunday 19 February 2023

बस ग़लत को क्रॉस करो : बिंदु बिंदु विचार

 बिंदु बिंदु विचार 

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🔹हम सब के साथ कभी ना कभी ऐसा ज़रूर हुआ होगा/होता है बस देखना यह है कि इस से क्या सबक़ लें.


🔹छोटी क्लासेज़ की बात है, नया नया पेन इस्तेमाल करना शुरू किया था. होम वर्क में लिखे में गलती हो जाती. टीचर को देने से पहले उसे इरेज करना बहुत मुश्किल होता था. 


🔹मैं एक टाइप इरेज़र से उसे मिटाने की कोशिश करता, कभी कभी पुरानी शेविंग ब्लेड से भी घिसने की चेष्टा करता मगर काग़ज़ कट जाता.


🔹मै ने चॉक से ग़लत लिखे को कवर करने का प्रयास किया मगर वह भी उतर जाता और जो ग़लत हुआ होता वह फिर से सामने आ जाता.


🔹मेरे टीचर मुझे समझाते मगर मुझ पर कोई असर नहीं होता था.


🔹मुझे लगता था मैं बहुत चतुर-चालाक हूँ और अपनी ग़लतियों को छुपा सकता हूँ.


🔹ग़लतियाँ थी कि होती ही जाती रही, क्योंकि अप्रोच उन्हें आवरण औढा देने, छुपा देने, मेनेज कर लेने का खेल खेलने की हो गयी थी.


🔹घर तक बात ना जाए इसके पुख़्ता इंतज़ाम भी मैं करने में माहिर था. जैसे पड़ोसी क्लासफ़ेलोज को टाफी चूरन कंचे वग़ैरा देकर मुँह बंद करा देता, किसी को डरा देता, किसी की लफ़्फ़ाज़ी से तारीफ़ कर देता. टीचर से कभी माफ़ी कभी तोहफ़ा देना, चापलूसी कर लेता. फिर मेरे ख़ानदान के रसूख़ का असर भी था वो भी एक strong पोईँट था. 


🔹फिर मैने एक तरीक़ा और ढूँढ निकाला. अपने थूक से उसे मिटाने की कोशिश की. स्याही फैल जाती, फिर उँगली से या स्केल के कोने से उसे मिटाने की कोशिश करता काग़ज़ में छेद हो जाते.


🔹मेरी ये सब हरकतें पकड़ी जाती. थूक वाली बात को लेकर तो मैं पूरे स्कूल बदनाम हो गया था. मुझे एक गंदा लड़का समझा जाने लगा. 


🔹इस बीच किसी दोस्त या टीचर ने शायद दादीसा तक बात पहुँचा दी थी या दादीसा को खुद आभास हो गया था. 

एक रविवार को दादीसा की रेड पड़ी. कॉपीयां किताबें उनके सामने थी, और मेरे भेद भी.


🔹दादीसा ने पूछा : ऐसा क्यों करते हो ?


🔹मैंने कहा था : मैं नहीं चाहता कि लोगों को मेरी ग़लतियाँ पता चले इसलिए उन्हें इरेज़ या कवर कर देता हूँ.


🔹दादीसा ने कहा था : इस तरह ग़लतियों को मिटाना तुम्हारी कॉपी में छेद कर देता है. ज़्यादा से ज़्यादा लोग ना केवल तुम्हारी ग़लतियों को जान जाते हैं बल्कि तुम्हारी फ़ितरत और मूर्खता के लिए सामने चाहे कुछ भी ना बोले पीछे से तुम्हें दाग़दार और बेईमान ही समझेंगे और मखौल उड़ाएँगे.... चाहे तुम कितने ही मासूम क्यों ना हो.


🔹मैंने पूछा था : तब मैं क्या करूँ ?


🔹उन्होंने कहा था  : और कुछ भी ना करो,  बस ग़लत को क्रॉस कर दो. सही लिखो और आगे बढ़ जाओ. तुम देखोगे कि ग़लतियाँ होना ही बंद हो जाएगा.

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