Sunday, 18 December 2022

ज़मीनी बातें : रिश्तों में सावधाने

 ज़मीनी बातें : रिश्तों में सावधाने 

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(१)  संवेदनशील और प्रामाणिक लोग अपना प्रतिबिम्ब ही औरों में देखते हैं जब कि जीवन के कुछ फ़ेज़ेज़ में ऐसे लोग जैसे तैसे  शुमार हो जाते हैं जो या तो अपने उस समय के मतलब के लिए आपसे चिकनी चुपड़ी बातें करते हैं, प्यार मोहब्बत दोस्ती जताकर आपके सहज  मन में पैठ जाते हैं,अपने सच्चे झूठे दुखड़े गा गा कर सहानुभूति और attention बटौरते जाते हैं. आपसे जो लाभ मिलते हैं वे discontinue ना हो जाए इसलिए आपकी कुछ नापसंद सच्ची सीधी और उनके हित की बातों को सराहते हुए भी इस कान से उस कान निकालते जाते हैं और हाँ हाँ करते रहते हैं, क्योंकि इन्हें वही करना है जिसमें इन्हें रस आता है. प्रेम, समर्पण, समझ जैसे शब्द इनकी हर बात में आएँगे. इनके वफ़ादारी के वादे इतने strongly worded होते हैं कि इनका इरादा उनमें छुप सा  जाता है.


इन चेहरों पर कई परतें होती है और ये खुद का negative रूप छुपाने में माहिर होते हैं.  ये शातिर लोग आपकी कमजोर रग को पकड़ कर अपने जाल में लगातार आपको फँसाते हैं और आप भी अपनी मासूम कमज़ोरियों के चलते फँसते जाते है. यहाँ तक कि आप इनके चलाए चलने लगते हैं....यह उनकी जीत और आपकी हार होती है.


आदर्शवादिता, प्रशंसा और कथित प्रेम की भूख, ज़रूरत से ज़्यादा भरोसा करना  इन कजोरियों में से कुछेक  है, जिनका लाभ ये बेसाख़्ता उठाते हैं.


ऐसे लोग जब expose होते हैं तो इनके असली चेहरे और फ़ितरत बहुत ही वीभत्स रूप में सामने आते है. कुछ लोग तो इतने छोटे हो सकते हैं बात व्यवहार में भी कि आप सोच भी नहीं सकते. आप के किए हज़ार उपकार उनके लिए अर्थहीन हो जाते हैं और आपको सब लिहाज़ छोड़ कर ऐसा ऐसा सुनाते हैं कि आप आवाक हो जाते हैं. 


जो लोग logically बुनियादी तौर पर दुष्ट साबित हो जाते हैं उनके लिए  कुरुक्षेत्र में कृष्ण द्वारा बोले गीता वचनों को याद करते रहना चाहिए, जिनसे उन्होंने अर्जुन को चेताया था. बिना मन को उद्विग्न किए उचित कर्म कर पाना ही कृष्ण-धर्म.


कभी कभी इनका उधार इन्हीं के सिक्कों में चुकाना कृष्णधर्मिता  होती है. यदि आप होशमंद और स्पष्ट हैं तो पहले इनका नाम अपने जीवन से बाहर कहीं लिखिए, शांत मन से बिना अतिरिक्त ऊर्जा गँवाए इन्हें इनकी ही भाषा और तौर तरीक़ों से नए नए सबक़ सिखाइये, ताकि ये स्कोट फ़्री ना निकल पाएँ. समय और ऊर्जा का यह इन्वेस्टमेंट दीर्घकाल में लाभप्रद होता है.


क्षमा, लेट गो या मूव ऑन के सिद्धांत बड़े प्यारे हैं लेकिन पात्रों और स्थितियों के साथ सापेक्ष होते हैं. इन अप्रोचेज़ को चुनने में Emotions और  Rationality  की Balancing  ज़रूरी होती है.


काल, भाव, द्रव्य क्षेत्र के अनुसार उपाय चुनना समझदारी.


(२) कुछ ज़िद्दी, बेवक़ूफ़ और अहम से भरे लोग भी पाए जाते हैं जो  ख़ुदगर्ज़ क़िस्म के होते हैं और जिन्हें यह गुमान होता है कि वे बड़े साफ़गोई वाले हैं, सहज है सादा दिल है इत्यादि. आपको उनके साथ जुड़ने में सिवा सब तरह के नुक़सान के कुछ नहीं होना--ऐसे लोग आपके साथ कभी भी same page पर नहीं हो सकते क्योंकि उनका mental level आप जैसा नहीं होता, ना जाने आपकी किस बात को ये क्या समझ लें और पकड़ कर बैठ कर उसका ही प्रलाप जारी रखें. पूरी कायनात के लिये इनमें बारूद भरा होता है, कोई भी दियासलाई की तीली इनमें लपटें और विस्फोट पैदा कर सकती है....इसलिए साबधान !


इनके प्रति दया/करुणा भाव रखते हुए, safe distance बनाए रखना ही हितकर. 


इनके लिए भी यथोपयुक्त Point-१ में दी गयी अप्रोच अपनायी जानी चाहिए.


(३) आत्ममुग्ध याने नार्सिसिस्ट ,  हीन भावना से ग्रसित, manipulator व्यक्तित्व वाले, बाइपोलर डिसओर्डर इत्यादि तरह तरह के menia/disorders से ग्रसित लोग भी आप से ज़िंदगी के किसी दौर में संयोगवश जुड़ जाते हैं. इनसे सहानुभूति होना अलग बात है इन्हें सुधारने का ठेका ले लेना बहुत रिस्की होता है. यहाँ भी सावधानी हटी और दुर्घटना घटी वाली कहानी होती है. 


इन्हें Pychiatrist/Psychologist तक पहुँचाना ही अभीष्ट.


(४) ऊपर दी हुई घातक स्थितियों से बचने का एक ही उपाय है कि दीमाग और आँख खोल के जाँच परख कर रिश्ते बनाएँ. सामने वाले के untoward traits और गतिविधियों का आकलन यदि हो जाए तो तुरत किनारा करने से ना ही हिचकें. सद्भाव और आदर्शों के नाम पर अवसर देते रहना बेवक़ूफ़ी है उदारता नहीं. रिश्तों में Give and Take दोनों होना ज़रूरी है, उदारता और विशाल चिंतन अपनी जगह हैं लेकिन वह लगातार एक तरफा ही हो यह अपेक्षित नहीं, संतुलन ज़रूरी है. 


(५) Repetition है लेकिन शब्द अलग : Awareness, Clarity और Acceptance का मंत्र जीवन के इस पहलू को handle करने के लिए अपनाने की अनुशंसा.

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