सूर्यास्त के उस पार....
###########
करता है कोई प्रतीक्षा मेरी
सूर्यास्त से ठीक बाद
विद्यमान है नियति मेरी
सूर्यास्त के ठीक बाद,
जहां जामुनी रंग के पर्वत
डटे हुए है शांति से
वहीं तो मिलना है मुझे
ख़ज़ाना शाश्वत प्रेम का...
सूर्यास्त के उस पार
कोई बहुत सुंदर और आतुर
मेरी प्रतीक्षा में है
नितांत अकेला कोई,
केश उसके सुनहरे है
मरुभूमि की उजली बालू के रंग के
आँखे उसकी चमकती है
जैसे हथेली में हो हीरे...
सूर्यास्त के बिलकुल निकट
अवस्थित है एक घर मेरे लिए
जहां का संसार है सुकून भरा
बिलकुल स्वर्ग सा?
बता दूँ तुम्हें आज
इस विदा की घड़ी में
पाओगे मुझे तुम
सूर्यास्त के ठीक बाद...
No comments:
Post a Comment