Wednesday 24 August 2022

तुम्हारे लिए....


तुम्हारे लिए...

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गाऊँगी मैं तुम्हारे लिए 

बस तुम्हारे लिए 

खोज लूँगी तुम्हें 

जाओगे तुम जहां 

जहां हो नज़र 

मुझको पाओगे वहाँ 

तुम ना हो तो 

सूना है सब कुछ यहाँ 

जिऊंगी मैं बस तुम्हारे लिए 

गाऊँगी मैं बस तुम्हारे लिए...


हर पुकार की 

तुम आवाज़ हो 

मेरी हर धुन के 

तुम्हीं साज हो 

राज की तरह 

तुमको छुपाऊँगी मैं 

हो तुम्हीं मेरे गीत 

गुनगुनाऊँगी मैं 

सजाऊँगी महफ़िल तुम्हारे लिए 

गाऊँगी मैं बस तुम्हारे लिए...


ख़्वाब मेरे ख़ातिर 

छोड़ तुम चल दिए 

अकेली मैं कैसे 

रह पाऊँ तुम बिन 

क्या है तेरा पता 

सोचती मैं पल छिन 

मेरे दिल का भी है 

अपना ही जेहन 

झुक जाऊँगी मैं बस तुम्हारे लिए 

गाऊँगी मैं बस तुम्हारे लिए...


दीवानी ये क्या 

वजह हो गई 

तुम को ना जाने कैसे 

कहाँ ले गयी 

बारिशी घुँघरुओं की 

रुनझुन हो तुम

अनलिखे अनकहे 

अल्फ़ाज़ों में  तुम

कहूँगी ग़ज़ल बस तुम्हारे लिए 

गाऊँगी मैं बस तुम्हारे लिए...


दिल तुम्हारा 

तुम्हें याद दिलाता रहे 

सिवा प्यार के 

कुछ ना हो राह में 

प्यार ही प्यार हो 

दोनों की चाह में 

मेरी अनछुई धड़कनों

मैं है तू ही तू 

धड़कूँगी मैं बस तुम्हारे लिए  

गाऊँगी मैं बस तुम्हारे लिए...

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