Tuesday 8 February 2022

कालनामा...

 

काल नामा

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नहीं होता है काल का 

कोई भी स्वरूप 

दे देते है व्यवहार हेतु 

हम ही तीन रूप...


दिखता है जीवन 

निकलकर विगत से 

वर्तमान से होकर 

आगत को अग्रसर...


कल तक था 

जो भविष्य 

बनकर वही वर्तमान 

हो जाता है परिणीत 

भूतकाल में...


कल था जो बीज 

आज का पेड़ है

कल बनना है उसे 

बीज फिर...


उत्पति है 

बहिर्गमन भूत से,

मृत्यु है 

अस्तित्व भविष्य का,

मध्य में वर्तमान 

जो है यह जीवन...


होने को कालातीत 

अपना लें सजग दृष्टि 

प्राप्त कर स्पष्टता 

अपनायें  स्वीकार्यता...

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