Tuesday 20 August 2019

दास्ताँ बंद लिफ़ाफ़ों के : विजया


दास्ताँ बंद लिफ़ाफ़ों की...
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याद है
उस दिन चाय पर चर्चा में
एक नया ही विषय आन खड़ा हुआ था
पूछा था मैंने :
"तुम्हारे मन में अपने स्त्री संगिनी  की
क्या छवि है ?"

उत्तर देने के बजाय
दाग़ दिया था तुम ने भी सवाल:
"क्या तस्वीर है तुम्हारे दिलो दीमाग में
अपने मर्द पार्ट्नर की ?"

तय हुआ था
भूलकर यह कि
हम 'Childhood Friends' हैं
अब मियाँ बीवी भी हो गए है,
इन सवालों को डील करेंगे दोनों
पूरी पूरी ईमानदारी से...

लिखा था तुम ने :

"मेरी स्त्री तिलोत्तमा सी सुंदरी हो"
नयन नक़्श, शारीरिक सौष्ठव का
रोचक श्रिंगारिक वर्णन कर गए थे तुम
और यह भी
बुद्धिमति हो, ज्ञानवती हो, विनयशील, विचारवान
व्यवहारकुशल हो,मृदुभाषिणी हो,
कल्पनाशील हो, चंचल रोमांटिक कामिनी हो
घर ओफिस दोनो को देख सके, सोचों की गम्भीर हो
जो समझे मुझ को,मंज़ूर हो जिसे मेरी
परम्पराओं को समझे और आधुनिक भी हो
हर हाल में साथ दे मेरा....
और बंद हो गया था मज़मून लिफ़ाफ़े में...

मैंने लिखा था :

यूनानी देवों सा शारीरिक सौष्ठव हो
तीखे नयन नक़्श, रण बाँकुरा हो
शक्तिशाली हो, मेधावी हो, धनी हो
रोमांटिक हो, घूमने फिरने का शौक़ीन हो
दिलदार हो, उदार हो, वक्तृत्व कला में माहिर हो
मेरी वैयक्तिकता को जो स्वीकारे
मेरी स्वतंत्रता में समर्थन दे
मेरे लिए जग से लड़ ले
जो अपना सारा प्यार मुझ पर लुटाए
मेरे सहज नारीत्व को समझे,
अपनाए और संतुष्ट करे
हर हाल में साथ दे मेरा....
और बंद हो गया था मज़मून लिफ़ाफ़े में...

खुले थे लिफ़ाफ़े...
उभर कर आयी थी दो तस्वीरें,
तुम ने मैं ने मिलकर कहा था एक साथ :
अरे ये तो चित्र है किसी चित्रकार की कल्पना से उभरे
ये तो चित्र हैं लाखों स्त्रि-पुरुषों के
मिला जुला कर
किसी एक के नहीं,
सब के सारभूत है ये चित्र तो
आँख किसी की, नाक किसी का, होंठ किसी के
बाल किसी के, रंग किसी का
बल बुद्धि व्यक्तित्व किसी का...

नहीं मिलेंगे ऐसे पात्र
कहीं भी खोजने पर
देख पाते हैं ऐसे किरदार
कवि या चित्रकार
अपने ही बिखरे से ख़यालों में
और डाल देते हैं इन सब को
अपनी अपनी कृतियों में
नहीं करना है हमें भरोसा
इन 'ऑल इन वन' परिकल्पनाओं का
नहीं होना है हमें
कुंठित, लुंठित और असंतुष्ट...

सब से बड़ी ख़ुशी है स्वीकारने में
सब से बड़ी बॉंडिंग है अपनाने में
आओ पी लें चाय
और जी लें उस प्यार को
नहीं करता है जो भेद
पनपता है जो साथ साथ
दर्द और ख़ुशी जीने में...

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