Wednesday 11 April 2018

I Love You : Vijaya


'I Love You'
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नज़रों से
छुअन से
परवाह से
ख़ामोशी से
इज़हार कर,
दुःख में
सुख में
साझेदारी कर,
छोटे से छोटे
बड़े से बड़े काम में
हाथ बँटा कर,
हर लड़खड़ाहट में
संभाल कर,
उदासी में
हँसा कर,
आँसू बहाने को
कंधा पेश कर,
हर ख़ुशी में
ख़ुद को शुमार कर,
फूँककर नयी ताक़त
बालपन की शरारत कर,
हाथ में हाथ दिए
झील किनारे
संग चल कर,
अपनों और परायों के दर्द को
साथ साथ
महसूस कर,
बिन बोले
सब कुछ समझ कर,
दिलाता है जब कोई
एहसास दिली मुहब्बत का
बिन कहे सुनायी दे जाता है
'I love you'....
नकार देती हूँ ज़रूरत
इस जुमले की
जो बाज़ वक़्त बन जाता है
महज एक रस्म अदायी,
खोखला सा हो जाता है
सब कुछ
जब ये अल्फ़ाज़
रह जाते हैं
होकर बेमानी,
ख़ुश होती हूँ मैं
सुन कर
अपने सारे वजूद से
हर शै में समाए
अनकहे
इन तीन लफ़्ज़ों को.....
तुझे साथ पा कर.

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