Wednesday 11 April 2018

कुछ भी कह देते हैं लोग : विजया



कुछ भी कह देते हैं लोग....
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कहने को
कुछ भी
कह देते हैं लोग
बाज़ वक़्त
अपनी ही औक़ात
बता देते हैं लोग.....

फ़िल्मी डायलोग
बड़ी कुत्ती चीज़ हूँ
कहकर
ख़ुद को बड़ा माहिर
जता देते हैं लोग....

कुछ भी कहिए
मेरी तो कमज़ोरी है ये
आड़ में ना जाने
क्या क्या
दबा देते हैं लोग...

इंसान हूँ भगवान नहीं
कहकर
ठोंक देते है ताल
गुनाहों की फ़ेहरिस्त
लम्बी सी
छुपा लेते हैं लोग....

लेने का ना छोड़ते
मौक़ा कोई
देने के नाम पर
साफ़
मुकर जाते हैं लोग...

देकर हवा फ़ितरत को
मोहब्बत की
चन्द लमहों को
जुड़ाव गहरा
दिखा देते हैं लोग...


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