Saturday, 30 June 2018

मौसमी योगी : विजया

आशु रचना 769
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(पसली : 678 : उमेदजी)

मौसमी योगी...
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आज का अखबार
भरा भरा सा है
योग दिवस की
सुर्खियों से.....

तस्वीरें भरी है
मौसमी योगियों की
नाना प्रकार की मुद्राओं में
अगवाड़ मुद्रा
पिछवाड़ मुद्रा
मेकअप मुद्रा
रीबॉक और नाइके मुद्रा
कृत कृत मुद्रा
कृतार्थ मुद्रा
भक्त मुद्रा
भगवान मुद्रा
इतनी मुद्राएं कि
लिखते लिखते हो ना जाये
योग मुद्रा सहस्त्रनाम !

आम आदमी रत है
कितनी ही मुद्राओं में दैनंदिन
प्रातः जल योग याने
नल के सामने ऊंघते हुए ध्यान योग,
रात्रि में विद्युत योग
बिजली गुल और पंखा झेलना,
रोजाना का जाम योग
शहर के जुलूस धरनों  झांकियों और ट्रैफिक के
जोग संजोग,
स्वच्छता योग
काम वाली गैर हाजिर्
घरवाली करे
झाड़ू पौंछा और डस्टिंग....

किसान, गृहणी, पेंटर, कारपेंटर,
ब्लैकस्मिथ, ठठेरा,कसेरा,
योगी ही तो है
जो प्रतिदिन अपने 'होने' के लिए
सुबह से रात तक
करते रहते हैं नाना योगासन,
पूछो तो जरा
देखा है कभी तोंद वाला लोहार
मोटा ताज़ा मेसन,
ना जाने योगियों में
कौन असली कौन नकली
कितनी कायायें हृष्ट पुष्ट
कितनी है भई डेढ़ पसली
ना जाने कितनी छातियां है
बिना नपी
और कितनी फेशनी आबादी है
बिना तपी.....
😂😂😂😂😂😂😂

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