Saturday, 30 June 2018

मूल सोच : विजया


मूल सोच....
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माता,पिता,गुरु,मित्र
प्रेमी, प्रेमिका और ईश्वर
ऐसे किरदार जीवन के
जो बस दिए जाते हैं
नहीं करते
उम्मीद लेने की,

क्यों नीयत कर रहे हो
कोई एक दिन
केवल मात्र
याद कराने को
उनके वजूद को
या उनके हाथों में
कुछ थमा देने के लिए,

ये ऐसे रिश्ते हैं
जो जीने के लिए हैं
मापने तौलने
और
दिखावा करने के लिए नहीं,

बदलते परिवेश में
जो भी नया है
उसे अपनाएँ ज़रूर
मगर
मूल सोच को साथ लिए....


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