खोया हुआ महबूब
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बरसों के अंतराल के बाद
छुआ है तुम को
कितने बदल गये हो,
कहाँ गया कच्चापन-अधूरापन
नहीं नज़र आ रहा है वो अल्हड़पन !!
दिख रहा है सब कुछ सुघड़ सा
सजा धजा सा
कंसीलर ने ना जाने क्या क्या छुपा दिया है
यह सीरम, फाउंडेशन और उस पर
ज्यूँ परत हो फेस क्रीम की
पूरी देह पर जैसे
गहरा बॉडी लोशन मल लिया है
वैक्सिंग, मैनीक्योर,पेडि-क्योर ने
स्मूथ कर दिया है सब कुछ
हेयर स्टाइल बिलकुल बदल गई है
ऑई लाइनर ने आँखों की गहराई बढ़ा दी है
लिप-कलर ने ज्यूँ होठों में जान भर दी है
उभारों को सुडौल दिखाने
ज्यूँ पैडेड सपोर्ट पहना है
एक अपरिचित सी तेज़ गंध फूट रही है बदन से
शहरी बाबूओं की नज़रों में
सेक्सी हो गये हो तुम
लेकिन मैं ठहरा गवईं,
मुझे तो लग रहे हो तुम
एक सजी सँवरी बेजान मूरत से
सच कहूँ नितांत अजनबी से लग रहे हो तुम !!
अचानक दिल में एक टीस सी उठी है
आँखों से पैनाले बह चले हैं
तुम हाँ तुम....कोई और हो
खोज रहा हूँ मैं तो
अपने खोये हुए महबूब को !!
(महबूब से मतलब अपने गाँव से है)
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