Sunday 12 April 2020

अहसासे गुनाह : मुल्ला नसरुद्दीन

अहसासे गुनाह से आज़ादी उर्फ़ मुल्ला का मॉडर्न धर्म गुरु को सबक़ सीखाना,,,,
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एक क़स्बे मे एक नामी गिरामी मॉडर्न उपदेशक गुरुजी आए. मुल्ला नसरुद्दीन भी सुनने चला गया. गुरुजी के  उपदेश का विषय था "व्यवधान डालना उचित नहीं...जो होना है सो होना है-होने दो."

"कोई साथ है तो कर्मबंधन से...कोई साथ रहे तो कर्म बंधन से....ना रहे तो कर्म बंधन से.....सभी साथ संगत है कर्म काटने के लिए....सब नाते रिश्ते...माता पिता, पतिपत्नी, प्रेमी प्रेमिका, दोस्त बंन्धु, डाक्टर मरीज़, पुलिस जज अपराधी आदि आदि."
तरह तरह के उदाहरण दे कर लच्छेदार भाषा में समझा रहे थे आधुनिक गुरुजी.

कहते हैं ना जो ख़ुद को सुहाए वही सच....लोगों के अच्छे बुरे सभी क्रिया कलापों को इंटेलेक्चुअल जस्टिफिकेशन मुहैय्या करा रहे थे गुरुजी. गुरुजी के लिए प्रसिद्ध था कि वे अहसासे गुनाह को भगा देते हैं अपनी दलीलों से....वो guilt चाहे व्यापार में धोखा देने का हो, टेक्स चोरी का हो, स्मगलिंग और ड्रग व्यापार का हो, भोग विलास के लिए सम्बंध बनाने का हो, शाश्वत जीवन मूल्यों को तोड़ने का हो...गुरुजी के आध्यात्म का स्कोप हर जो ग़लत हुआ या हो रहा है उसे तोड़ मरोड़ कर बनायी अपनी थ्योरिज याने कर्मबन्धन, वैयक्तिकता, आत्मिक स्वतंत्रता आदि को शब्दजालों का तड़का देकर सही साबित करने तक ही था .....इनके वास्तविक अर्थों से ना तो श्रोताओं/भक्तों को मतलब था और न ही गुरुजी को.

ज़मीनी हक़ीक़तों....जीयी हुई ज़िंदगी....उम्मीदें और खीस....परस्परता.....बदनामी....रिश्तों में तनाव....पाखंड....लुका छिपी आदि सब को भूला कर मगन होकर श्रोता गण सुने जा रहे थे.....मुदित हो कर....क्योंकि मॉडर्न गुरुजी के वचन उन्हें अहसासे गुनाह से आज़ाद जो कर रहे थे. उनके सब उल्टे सीधे कामों को कवर जो मिल रहा था. गुरुजी के cassetes, cds, किताबें ख़ूब बिकती थी. ओशो रजनीश की कोपी केट बन कर सफलता चूमना चाहते थे मॉडर्न गुरुजी. चार छह किताबें ओशो की पढ़ी होगी और कुछ व्याख्यान सुने होंगे....हो गया गहरा अध्ययन 😊😊😊

प्रवचन के बाद अचानक मुल्ला मंच पर चढ़ पहुचा..,, बोलने लगा, "मै आपको एक मज़ेदार लतीफ़ा सुनाता हूँ, गौर से सुनियेगा. लतीफ़ा चार भागों मे है."

पहला भाग :  एक बंदा साइकिल पर अपनी बीबी को बैठा कर कहीं जा रहा था. रास्ते में गडृढा आया, बीबी चिल्लायी: जरा बच कर चलाना ! बंदे ने साईकिल रोकी और उतर कर बीबी को एक झापड मार कर कहा : साइकिल मै चला रहा हूँ कि तू?
गुरुजी  बोले : सही बात है, किसी भी काम मे अडंगा नही डालना चाहिये....जो होता है होने दो...गड्ढा आया आना ही था...साइकिल को गिरना है तो गिरना है...नहीं गिरना है तो नहीं गिरना...लेट गो....होने दो.

मुल्ला ने आगे कहा : जरा सुनिये दूसरा भाग. मियाँ बीवी घर आये. बीबी चाय बनाने लगी. गुस्से मे तो थी ही , स्टोव मे खूब हवा भरने लगी. पति बोला : देखो, कहीं टेंक फ़ट न जाये. बीबी ने पतिदेव की दाढ़ी पकड़ कर उसको एक चांटा लगाया.  बोली : चाय मै बना रही हूँ कि तुम ?

गुरुजी बोले : वाह-वाह, क्या चुटकुला है ! किसी काम मे बीच मे बोलना ही नही चाहिये. सारी बातें कर्मबंधन की वजह से है...जो भी होना है होना है....होने दो. स्टोव फटना है तो फटेगा...किसी के सिर के परखच्चे उड़ने हैं तो उड़ेंगे...बीवी मरी तो नयी बीवी...मियाँ मरा तो वैधव्य या पुनरविवाह...जो होना होना...जिस समय का जो सत्य वह सत्य.

मुल्ला ने कहना आगे जारी रखा । कहा : सुनिये, अब सुनिये चौथा भाग. एक बार एक बंदा....

गुरु जी ने बीच मे टोका : अरे भाई, पहले तीसरा सुनाओ। दूसरे के बाद यह चौथा भाग कहां से आ गया?

नसरुद्दीन ने आव न देखा ताव , भर ताकत एक घूंसा गुरुजी के जबड़े  पर लगाया और बोला : चुटकुला मै सुना रहा हूँ कि तुम ?
तुम पर पावना था मेरा, आज मुझ से पिट कर उधार चूक रहा है...आप मुक्ति की ओर अग्रसर हो रहे हैं."

फिर सब कर्म बँध....जो होना है सो होना है...नीयती है...कर्म काटने हैं....कर्मों का रिन चुकाना है. मुल्ला एक एक करके गुरुजी के उपदेश में खीस निपौर निपौर कर दिए गए उदाहरण रीपीट करने लगा...थप्पड़ पाक के साथ.

गुरुजी जबड़ा सहला रहे थे...फुफकार रहे थे...आयोजकों को कोस रहे थे...बरसों के सम्बन्धों की दुहाई दे रहे थे....मुल्ला की मा बहन कर रहे थे. कहाँ कहाँ कौन कौन उनको मानता है...कितनी ऊँचे तक उनकी पहूँच है....वग़ैरह वग़ैरह..

चारों तरफ़ हो हल्ला...कोलाहल.....असमंजस.
मुल्ला खिसक लिया था.😂😂😂

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