Sunday 19 June 2016

नए हिज्जे

नए हिज्जे

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डुबो कर कलम
दवाते दिल में
लिख दूँ
तिरे सफ़ा-ए-जबीं पर
गहरी इबारत
उतार चढाव लिए
बेल बूटेदार
खूबसूरत उर्दू में,
शुरू हो 'अलिफ़' से
और ना रुके
'ये' पर पहुँच कर भी,
बस निहारता रहूँ तुम्हे
एकटक नज़रों से
लिखने को
कुछ नए हिज्जे
जो समझ सकें
सिर्फ मैं  और तू .....

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