vinod's feels and words
Sunday, 20 September 2015
बरफ....
सुणो सा साजण आज
बरफ क्यूँ ठंडी घणी,
(वा जाणे)
पाणी बीं रो भूत
पाणी भविषत रो धणी...
आया खाली हाथ
जास्यां खाली हाथ ले
रीस रोस घमंड
बळस्यां स्याणा साथ ले..
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment