व्यापारी....
+ + + + +
कैसे व्यापारी हो
करते हो तिजारत
नुक्सान में हरदम
चुकाते हो ज्यादा
मगर पाते हो
बहोत कम,
'नेकी कर दरिया में डाल'
दरिया बन गया है
एक अँधा सा कुंआ
फलसफा तेरा
लगता है ज्यों
एक समझा सा जुआ,
हार औ जीत
पाप औ पुन्न की बातें
बेमानी है तुझ को
जमाने की गुस्ताख चोटें
'आनी जानी' है तुझ को,
अपनाते हो
हर उसको
ठुकराया था
जिसने तुझ को,
इसीलिए
शफ्फाक दिल ने
अपनाया है तुझ को,
चरागों आफ्ताब गुम है
तेरी नेकी के शबाब में
दर्ज है महज जिक्र तेरा
मेरे दिल की किताब में,
नहीं चाहते हम
जाना कुछ गहरा
तेरे हिसाब में
रहने दें
चंद सौदे 'यूँ ही'
वक़्त के हिजाब में.
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कैसे व्यापारी हो
करते हो तिजारत
नुक्सान में हरदम
चुकाते हो ज्यादा
मगर पाते हो
बहोत कम,
'नेकी कर दरिया में डाल'
दरिया बन गया है
एक अँधा सा कुंआ
फलसफा तेरा
लगता है ज्यों
एक समझा सा जुआ,
हार औ जीत
पाप औ पुन्न की बातें
बेमानी है तुझ को
जमाने की गुस्ताख चोटें
'आनी जानी' है तुझ को,
अपनाते हो
हर उसको
ठुकराया था
जिसने तुझ को,
इसीलिए
शफ्फाक दिल ने
अपनाया है तुझ को,
चरागों आफ्ताब गुम है
तेरी नेकी के शबाब में
दर्ज है महज जिक्र तेरा
मेरे दिल की किताब में,
नहीं चाहते हम
जाना कुछ गहरा
तेरे हिसाब में
रहने दें
चंद सौदे 'यूँ ही'
वक़्त के हिजाब में.
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