Friday, 3 April 2015

वशीकरण

वशीकरण 
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('पजेसिवनेस' को, खासकर, चाहत और प्यार का एक अभिन्न अंग माना जाता है..कितने ही 'बुध्दिजीवीय' विमर्श हो जाए इस पर, क्लेरिटी से सोचने समझने एवम निरंतर अभ्यास और अनुभवों के बिना इस से निजात पाना मुश्किल ही होता है..हमारी कल्चर में पजेसिवनेस' के इस ज़ायकेदार भाव को लेकर बहुत कुछ लिखा और गाया गया है..हमारी फिल्में भी इसे खूब डेपिक्ट करती है. मेरा चिंतन जो भी हो इस पर, मैंने इस मुक्त कविता 
में कोशिश की है एक शिद्दत से प्यार करने वाली संगिनी के मनोभावों/designs को शब्द देने की. इस रचना में एक folk वाला आयाम है.(ठेठ राजस्थानी में एक बंध इसीलिए लिखा है.) फिर कभी intellectual आयाम के expressions को भी शब्द देने की कोशिश करूँगा.)
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वशीकरण 
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मत जाना 
करीब उसके 
पिला देगी 
घोल कर कुछ भी 
शरबत में,
बांध रखा है उसने 
एक मंत्राया पुतला 
अपने सहन में 
खड़े पीपल की शाख पर 
सुना है जो भी गुज़रता है 
उसके साये से होकर 
रह जाता है वह 
उसीका होकर, 
आँखों में लगाती है 
जो काजल वो 
दरिया किनारे के 
दरवेश-बाबा से लायी है 
जिसको भी देख ले
उसकी तो बस 
राम दुहाई है, 
ना रख देना पाँव 
उसकी बनायी अल्पना में 
कितनी रातें 
बिता कर मसान में
साधा है उसने 
मारण और वशीकरण 
जो घेरे, त्रिभुज, चतुर्भुज 
बने हैं उसमें 
ना जाने किसमें मांडी हो 
तुम्हारे खातिर 
कोई संगीन सी जकड़न...

सुणज्यो जी 
अरज आ म्हारी 
औ म्हारा ढोला लशकरिया !
औ म्हारा जोड़ी रा भरतार !
औ म्हारा काळजिये रा हार !
म्हें करूँ सा थान्स्यु मनुहार !
मत जाज्योसा पोळयां बिण री
हाट हठीली है वो 
मन री काळी है वो 
जाण जुगारी है वो 
कामणगारी है वो....

(ढोला लशकरिया= ढोला मारू की प्रेम कहानी बहुत नामी है राजस्थान में . मेल पार्टनर को ढोला कहा जाता है....लश्करिया शब्द झुण्ड/जाते को denote करता है. राजस्थान से सैन्य दल या बिणजारे सौदागर इत्यादि जत्थों में सुदूर की यात्राएं करते थे.
भरतार= पति,पोळयां=दरवाज़ा, बिण री=उसकी, जाण जुगारी=बहुत बड़ी ज्ञाता, कामणगारी=जादू टोना करने वाली.)

अनुकूल-प्रतिकूल : विजया

अनुकूल-प्रतिकूल 
+ + + + + 
मुक्त पंछी 

भावों से अनुकूल 
बंदी पंछी 
भावों से प्रतिकूल....

गाये जा रहा है 
मुक्त पंछी 
आज़ाद तराने 
होकर सवार 
पवन के उड़न खटोले पर 
नहाता हुआ 
सूरज की किरणों में
चहकता हुआ 
सारा आकाश है मेरा.....

बंदी पक्षी 
पिंजरे की सलाखों के पीछे 
कटी पंखों के साथ 
दुस्वप्नों से ग्रसित
गाता है किन्तु 
रुंधे गले से 
गीत आज़ादी के
बिलखता हुआ 
काश ! होता 
सारा आकाश मेरा....

मुक्त पंछी 
भावों सेअनुकूल 
बंदी पंछी 
भावों से प्रतिकूल...

राजस्थानी कुण्डलियाँ : विजया

राजस्थानी कुण्डलियाँ

+ + + + + +
(1)
कामणगारी कामणी तिरछा बिण रा नैण
बोल कोल री बात के, समझे सगली सैण,
समझे सगली सैण, होळ स्यूं आडो खोले,
छेलो घणों चलाक, आहिस्ता भीतर हो ले.
(कामणगारी कामणी=टोनेबाज कामिनी, बिण रा=उसके, सैण=इशारा
आडो=दरवाज़ा)
(2)
सौ हुवे सुनार री, एक लुहारी चोट
हिये च्यानणों चिळकज्या,पड़यां धमाधम सोट
पड़यां धमाधम सोट, अकल आडू ने आवे
भागे तेतिसा देय, फेर ना पाछो आवे.
(च्यानणों=प्रकाश, चिळकज्या=चमक जाता है,
सोट=लठ्ठ, आड़ू=बददिमाग, तेतिसा=तेज़ दौड़-मुहावरेदार)
(3)
ज्ञान भरम रो गुमड़ो, मांय तरक री राध
बात बात रगड़ो रचे, बात बात जिद बाद
बात बात जिद् बाद, अरथ न अनरथ कर दे
जिण हांडी ना पाव समाय, उठे पंसेरी भर दे.
(गुमड़ो=फोड़ा, राध=मवाद, रगड़ो=झंझट/विवाद, जिद-बाद=जिद्द/rigidity,पाव=1/4 सेर)
(4)
अकल हिये री फूटरी मिनख जमारे सोय*
पोथी भण घणा मरया, पंडत भया ना कोय,
पंडत भया ना कोय, थोथ में जोत जगावे
चेला चेली रो टोळ, एवड़ ज्यूँ हांक्या जावे.
(फूटरी=सुन्दर, मिनख=मनुष्य, जमारो=जन्म,सोया=सोहता है/ अच्छा लगता है भण=पढ़ कर, थोथ=थोथी जगह, टोळ=झुण्ड, एवड=भेड-बकरी का झुण्ड, हांक्या=हांके:हांकना क्रिया)
*जेहन/दिल की अक्ल (विवेक) ही सटीक/सुन्दर होती है और वही मनुष्य योनि पर शोभित होती है.

वो मर गया है

वो मर गया है
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वो मर गया है 
मगर
हिलडुल तो रहा है
साँसे भी ले रहा है
चल भी रहा है
फिर भी रहा है
बोल भी तो रहा है..
देखो,
यह सब तो बातें हैं
इस सराय की
जिसमें रहता था वह
कब से टिके हुए
मुसाफिरों की
एक भीड़ के साथ
जिसमें से एक
हुआ करता था
वो खुद भी,
जो दिख रहा है
वह 'वो' नहीं
वही सराय तो है
जिसे तुम कह देते हो
उसका जिस्म
उसकी शख्सियत
उसका वुजूद..
कहाँ है वो होशमंद ?
जो सब कुछ देख लेता था
एक लम्हे में,
समझ भी लेता था
अनकही बातें मन की,
कहाँ वह जिंदादिल शख्स
जिसके ठहाके
कोसों भगा देते थे
उदासियों को,
कहाँ है उसकी वो बातें
जो बरपा कर देती थी
ज़ज्बा जीने का,
कहाँ गया वो नूर
उसकी आँखों का
महज़ एक नज़र ही उसकी
हुआ करती थी मौजूँ
जां फूंकने
मुर्दा दिलों में....
खून किया है
किसी ने
के कर ली है
उसने ख़ुदकुशी
या हो गया है बेहोश
मगर क्यूँ लगता है ऐसा :
वो मर गया है...
(अगला शब्द : मुसाफिर)