Sunday 3 April 2022

चाय पर चर्चा : विजया

 थीम : रिश्ते-बदलाव-फ़ित्रत

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चाय पर चर्चा...

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हम दोनों के चाय के सेसन सहज और बहुरंगी होते हैं और कई दफ़ा होते हैं घर में भी और बाहिर भी. रोज़मर्रा के घर के मसलों से लेकर प्यार मोहब्बत, म्यूज़िक, फ़लसफ़ा, लोग, घटनाएँ और ना जाने क्या क्या फ़िगर होते रहते हैं. तरह तरह की चायें, कप, ट्रेज और दूसरी चीजें...और तरह तरह की बैठने की जगहें भी मस्त माहौल बना देती है, हमारे सर्कल में हम दोनों के ये टी सेसन कई भावों और नज़रिए से देखे जाते हैं.


हाँ तो आज सुबह जो 'फ़िगर' हुआ वह ग्रुप में चल रही थीम से भी संजोग से मिल रहा है, शेयर किए ले रहे हैं😊


एक Quote जो 2016 में साहेब ने फ़ेस बुक पर share किया था memory में आ गया और उन्होंने आज फिर से share किया. मैने देखा और आवाज़ में पढ़ने लगी :


"Love is not only made for lovers, it is also for friends who love each other better than lovers. The true friend is very hard to find, difficult to leave and impossible to forget."

(कमेंट्स में original को कॉपी पेस्ट कर दिया  है)


नटखटपन के साथ साहेब की टांग खिंचाई का मक़सद As Usual. मैने इशारों में साहेब के दो गहरे वाले मित्रों (Gender neutral) को याद दिलाया, साहेब ने कप टेबल पर रखा और चेहरे पर रजपूती झलकने लगी.😀


साहेब : कहना क्या चाहती हो ?


मैं : कुछ तो नहीं. बस यूँ ही सोचा ये दोस्त तुम्हें भूल गए होंगे मगर तुम नहीं भूलोगे. पहचान नहीं पाते ना तुम इंसानों को 😃😃


साहेब : यार जब कोई फल डिलिवर होता है तो अच्छा ही तो दिखता है, ख़राब निकले तो फेंक देते हैं. अंदर घुस कर थोड़े ही देखते हैं.


मैं : नहीं तुम तो फ़्रूट शाप वाले को फ़ोन करते हो जो तुम्हारा चेला भी है (भरे पड़े हैं चेले हज्जाम से लेकर बड़े बड़े अफ़सर प्रोफ़ेसर indusrialsts etc tak) बोलेगा सॉरी सर, दूसरा भेज देता हूँ. 


बस बहने लगी "ज्ञान गंगा" 😃😃😃


साहेब : तुम जानती हो ना ये सब प्यार और दोस्तियाँ feelings की बातें होती है. जब तक feelings क़ायम रहती है हम उस ढाँचे को दोस्त समझते है क्योंकि वह feelings के लिए vehicle होता है. जब फ़ीलिंग्स नहीं बची रहती तो ढाँचे के साथ यथायोग्य 😃😃.


साहेब के पेट्ट फ़्रेज "मेरे जाने" के साथ "सब सापेक्ष है" या "Metaphors की अपनी limitations है" की वैधानिक चेतावनी  जुड़े उस से पहले ही मैने हम दोनों के फ़ेव तलत महमूद साहब के गाने ग़ज़ल लगा दिए थे, आज उनकी 98th Birth Anniv जो है.


बातों का रुख़  चाय की नई चुस्की के साथ बदल गया था. ठहाके लगे थे जब गाना आया "मेरी याद में तुम ना आंसू बहाना" और "ऐ मेरे दिल कहीं और चल." 


सच कह रहे थे साहेब feelings के एहसास अजर अमर होते हैं आत्मा की तरह, बाक़ी सब तो नश्वर शरीर की हरकतें, जिसकी जैसी करनी वैसी भरनी.😊

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