Friday 12 June 2020

पुरुष प्रधानता का पोषण...: विजया



पुरुष प्रधानता का पोषण...
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क्यों पूछे स्त्री किसी और से
अपने घर का पता
क्या पुरुष भी जानता है
ख़ुद अपने घर का पता ??

एक सा ही होता है एकांत
स्त्री का भी
पुरुष का भी
अपने अपने 'एक' का अंत कर
द्वि एक हो जाते हैं जब
मिट जाती है सारी तलाश
किसी भी पते ठिकाने की...

गवाह है परम्पराएँ पुराण और इतिहास
पहचाना है स्त्री ने सदैव
स्वत: ही अपनी धरा को
समझ पाती है
ज़मीनी हक़ीक़त को वह जितना
समझ पाता है कहाँ कोई पुरुष उतना...

भिन्न है वास्तविक जीवन
कविताओं में प्रयुक्त रूपकों से
देहरी के उस पार और इस पार भी
जीवन ही तो है
स्थापना और निर्वासन
अति भारी अभिव्यक्तियाँ है स्थितियों की
ठहराव और बहाव का सम्मिलित रुप
जीवन ही तो है...

असम्भव है जी पाना पूर्णतः सम्बन्धों को
दे पाते हैं स्वप्न हमारे
एहसास मात्र किसी छद्म पूर्णता का,
आकांक्षायें स्वामित्व की
अपेक्षायें परिभाषित परिपूर्णता की
हेतु है व्याकुलता की,
हो जाते हैं ग्रसित
तीव्र आकुलता से दोनो ही....

गाँठे जहाँ भी हो
करती है उपद्रव निरंतर
नहीं प्रदत है प्रभु से ये
मानव निर्मित है जाने या अनजाने,
काश समझ पाए नर नारी
कर सकता है मुक्त तन मन को
निस्तार इन जटिल ग्रंथियों का...

व्यवहार के संवहन
होते हैं द्विपक्षीय,
होती है शब्दातीत
भाषा स्पंदनों की,
यदि हो
सामर्थ्य आपसी जुड़ाव में
गरिमामय लचीलापन व्यक्तित्वों में
गहनता कृतित्व में,
नहीं रुक पाती है
दीर्घ प्रतीक्षाएँ
सुदीप्त मुख मंडलों पर...

बिना दिनों के अवदान के
वृतुल सृजन एवं वर्धन का
कब हो पाता है पूरा,
बनाया है प्रकृति ने मानव को
रहने को मुक्त भौतिक जड़ से,
जन्म पर करना होता है ना
तभी तो पृथक नाल को...

क्यों बांधा जाय स्त्री पुरुष को
परिभाषाओं और व्याकरण के नियमों में,
दो और दो नहीं होते हैं चार सर्वदा
रिश्तों के अंक गणित में,
नहीं है भूगोल देह स्त्री की
नहीं कर पाता महसूस
निहित प्राण और विविधताओं को कोई यदि
तो दुर्भाग्य है उसका,
जीवन के जैविकी और मनोविज्ञान में
उपलब्ध है उत्तर बिना प्रश्नों के
क्यों बिछाया जाय तब
जाल बौद्धिक जिज्ञासाओं का...

जानने से अधिक महत्वपूर्ण है
अनुभूति सहस्तित्व,
सहनिर्भरता, सहसम्मान की,
बदली परिस्थितियों में
पुरुष प्रधानता के प्रति
वही पुरानी शाब्दिक शिकायतें
दर्शाती है मात्र स्त्री का लाचार सा विद्रोह
करते हुए पुन: पुन: पोषण पुरुष प्रधानता का...

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