कर लूँगी में सिंगार तुम्हारे तसव्वुर से
तेरा ख़याल ही अब मेरा गहना होगा,,,,
साथ अपना गर गवारा नहीं ज़माने को
छुप के अब दिल में ही अब रहना होगा,,,
वस्ल ओ हिज्र तो ख़याल है ज़ेहनी
दिल को अब इश्क़ में जलना होगा,,,
तू पत्थर है हिमाला कहलाता है तो क्या
मैं तो हूँ बर्फ़ मुझको ही गलना होगा,,,
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