Sunday, 9 February 2020

रूह अफ़जा बना दिया,,,,

छोटे छोटे एहसास
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खून अपने को
'रूह-अफ़जा' बना दिया,
अजाबे ज़िंदगी को
रंगी फ़िज़ा बना दिया,
करके टुकड़े ख़ुद के
लुटा दिये उसने,
हर हक़ ख़ुद के को
इल्तिजा बना दिया,,,

(अज़ाब=पीड़ा, इल्तिजा=विनती)

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