गिले तुम्हारे धरे रह गए,,,
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गिले तग़ाफ़ुल के तुम्हारे धरे रह गए
बूटे गुलशन के हमारे यूँ हरे रह गए,,,
बेनियाजी है अदा, बेवफ़ाई तो नहीं
बदगुमानी में वो हमसे डरे रह गए,,,
नाउम्मीद कासिद लौटा है सरेसाँझ
ख़ुतूत कू ए यार में बिखरे रह गए,,,
ज़ाहिद की तक़रीरें तहरीरें थी फ़क़त
घूँट सागर के लबों पर खरे रह गए,,,
कश्ती ओ बादबाँ नदारद थे लिल्लाह
क़िस्मत में अपनी ,वीरां जज़ीरे रह गए,,,
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तग़ाफ़ुल=उपेक्षा, गिले=शिकायतें, बेनियाजी=उदासीनता/निस्पृहता, बदगुमानी=ग़लतफ़हमी, कासिद=संदेशवाहक, खुतूत=पत्र, कू-ए-यार=प्रेमी/प्रेमिका की गली, बादबां=पाल (जहाज़ का) नदारद=ग़ायब, वीरां/वीरान=निर्जन/सूने, ज़ज़ीरे=टापू
लिल्लाह=ईश्वर के लिए/for God's sake.