Saturday, 24 November 2018

उत्सव आज का चलो मना लें....


उत्सव आज का चलो मना लें,,,,
##########
बीत चली कल की रजनी है
उत्सव आज का,
चलो मना लें...

विगत की बातें कारण ग़म का
उलझी सोचें पात्र गरल का
अटक गए बीती बातों में
जीवन बिगड़ा सहज सरल का ,
बीत गए पर क्यों पछताएं
उत्सव आज का,
चलो मना लें...

आज है केवल सत्य हमारा
लखते जिसको निज नयनों से
वर्तमान अपना लें दिल से
परे रहे जो सब चयनों से
जी कर पल पल अभी यहीं के
उत्सव आज का,
चलो मना लें...

रात गए जो स्वप्न हुआ था
भोर हुई और बीत गया वो
जिसने आज का सपना देखा
सच मानो तुम जीत गया वो
विजय गान गाकर के मितवा
उत्सव आज का,
चलो मना लें...

No comments:

Post a Comment