Saturday, 24 November 2018

बादल....



बादल,,,,
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लुटाता हरियाली
दुनियां को
बादल,
फ़िर भी बंजर है
आब से भरा
बादल,
दया का सागर है
भावुक
बादल,
दरिया की क़ुसंगत में
बहा दे कई घर
बादल,
हाथ उठे थे
बारिश की दुआ में
बरसा गया चंद संग
बादल,
छील गया
दिल के दरो दीवारों को
राहे आँखों से
बरस गया
बादल,
लगाये बैठे थे उम्मीद
सुकून-ओ-ठंडक की,
आग सावन में भी
लगा गया
बादल,,,,

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