थीम सृजन
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(मुझे कोई डोर खींचे-८.११.१८)
मेरा तीसरा प्यार,,,,,
########
मेरे तीसरे प्यार ने
सिखाया था मुझ को
एक ऐसा प्यार
जो भर सके हर एक घाव को,,,,,
सिखाया था मुझे उसने
कह देना सब कुछ मुँह से,
खोल कर रख देना दिल को
और रखना ख़याल
तहे दिल से किसी का,
करने लगा था महसूस मैं भी
पाया जाना बदले में प्यार का.....
सीखा था मैंने
बिना आघात पहुंचाए
कर देना सब कुछ
किसी के लिए
जो भी है अख़्तियार में अपने,
सीख ही गया था अन्तत: मै
जीवन को तनिक लेना
बहुत ही गंभीरता से ...
मेरे तीसरे प्यार में
जान लिया था मैंने
सुरक्षा को भी
और स्वयं को
नुकसान न पहुंचने देते हुये
ईमानदारी से
जीये जाने को भी
और एक दिन...
मेरे तीसरे प्यार ने
सिखा ही दिया था मुझ को
बस छोड़ सकता है कोई यूँ ही
प्यार करना किसी से
और
नहीं भी लौट सकता है
वह फिर कभी,,,,,
आ सकता है ना
एक दिन ऐसा भी
जब मुझे बता सकेगा कोई
क्या घटित नहीं हुए थे
मेरे तीनों ही प्यार सचमुच !!
क्या नहीं थी कोई डोर वाकई
जो मुझे खींचे चली गयी थी !!
क्यों चला गया था मैं दूर उनसे,
क्यों चले गए थे दूर वो मुझ से !!!!
(प्रेम एक स्थिति है क्रिया नहीं, स्वयं प्रेम हो जाना ही तो प्रेम है.जीवन में घटित 'प्यार की दस्तानें' साझा हुई है यहाँ "मेरे पहले प्यार ने " "मेरे दूसरे प्यार ने" और "मेरे तीसरे प्यार ने" शीर्षकों के साथ. वास्तविक है या काल्पनिक इस चक्कर में नहीं पड़ कर रचनाओं का लुत्फ़ उठाएँ, अच्छा लगे तो अपनाएँ नहीं तो भूल जाएँ 😊)
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(मुझे कोई डोर खींचे-८.११.१८)
मेरा तीसरा प्यार,,,,,
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मेरे तीसरे प्यार ने
सिखाया था मुझ को
एक ऐसा प्यार
जो भर सके हर एक घाव को,,,,,
सिखाया था मुझे उसने
कह देना सब कुछ मुँह से,
खोल कर रख देना दिल को
और रखना ख़याल
तहे दिल से किसी का,
करने लगा था महसूस मैं भी
पाया जाना बदले में प्यार का.....
सीखा था मैंने
बिना आघात पहुंचाए
कर देना सब कुछ
किसी के लिए
जो भी है अख़्तियार में अपने,
सीख ही गया था अन्तत: मै
जीवन को तनिक लेना
बहुत ही गंभीरता से ...
मेरे तीसरे प्यार में
जान लिया था मैंने
सुरक्षा को भी
और स्वयं को
नुकसान न पहुंचने देते हुये
ईमानदारी से
जीये जाने को भी
और एक दिन...
मेरे तीसरे प्यार ने
सिखा ही दिया था मुझ को
बस छोड़ सकता है कोई यूँ ही
प्यार करना किसी से
और
नहीं भी लौट सकता है
वह फिर कभी,,,,,
आ सकता है ना
एक दिन ऐसा भी
जब मुझे बता सकेगा कोई
क्या घटित नहीं हुए थे
मेरे तीनों ही प्यार सचमुच !!
क्या नहीं थी कोई डोर वाकई
जो मुझे खींचे चली गयी थी !!
क्यों चला गया था मैं दूर उनसे,
क्यों चले गए थे दूर वो मुझ से !!!!
(प्रेम एक स्थिति है क्रिया नहीं, स्वयं प्रेम हो जाना ही तो प्रेम है.जीवन में घटित 'प्यार की दस्तानें' साझा हुई है यहाँ "मेरे पहले प्यार ने " "मेरे दूसरे प्यार ने" और "मेरे तीसरे प्यार ने" शीर्षकों के साथ. वास्तविक है या काल्पनिक इस चक्कर में नहीं पड़ कर रचनाओं का लुत्फ़ उठाएँ, अच्छा लगे तो अपनाएँ नहीं तो भूल जाएँ 😊)
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