मेरे पहले प्यार ने,,,,
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मेरे पहले प्यार ने
सिखायी थी मुझ को
अतीव आधिकारिकता*,
पढ़ाया था
पहले प्यार ने ही मुझे पाठ
ईर्ष्या, पीड़ा एवं वेदना का,
बताया था मुझे
प्यार होता है
सिर्फ और सिर्फ मेरा
जकड़ कर रखने के लिए
क्योंकि नहीं है वांछित प्यार में
छोड़ देना आज़ाद संगी को,
प्यार तो है
बस चाह पाने की
एक भय खोने का,
चलाया था
सिलसिला
जाने और लौट कर आने का
सीख कर उसी से मैंने भी
उसी ने तो सिखाया था
रूठना मनाना
क्षमा करना
और देना एक के बाद एक
अवसर ...
फिर एक दिन.....,,
सिखा ही दिया था
मेरे पहले प्यार ने
जुदा हो जाना
बेहतरी के लिए
और
नहीं लौट कर आना
फिर कभी,,,
*अतीव आधिकारिकता=Possesiveness, इज़ाफ़ित,हक़ मालकियत, हक़े ज़मीर, अतीव स्वत्वात्मकता, हावी होने की तीव्र इच्छा, शासन करने की तीव्र इच्छा आदि.
(प्रेम एक स्थिति है क्रिया नहीं, स्वयं प्रेम हो जाना ही तो प्रेम है.जीवन में घटित 'प्यार की दस्तानें' आयेगी "मेरे दूसरे प्यार ने " "मेरे तीसरे प्यार ने" इत्यादि शीर्षकों के साथ.)
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