अश्रु जल (दीवानी सीरीज)
आप जानते ही हैं, प्रेम में ज्यादा से ज्यादा साथ होने कि चाहत हमेशा कायम रहती है. जितना भी साथ मिले कम ही लगता है. यह चाहत की प्यास नए नए अंदाजों को अख्तियार कर बहुत ही प्यारी प्यारी स़ी बोलती है.
मेरे साथ को महसूस करने और उसको और ज्यादा चाहने की भावनाओं के साथ कई दफा वह खुद के अकेलेपन को अपनी नज्मों में जाहिर करती थी...ऐसी कि एक नज़्म उसकी आप से शेयर करताहूँ:
________________________________________ _____
# # #
आंसू मेरा
आँख से
निकला.
रुखसार पर
ठहरा,
फिर
गिरा
पायल पर,
और
अपने ही
पांव तले
माटी में
समा गया.
________________________________________ ____________
अब मुझे कैसे गवारा हो, उसके आँख का आंसू किसी 'और' में समाये....हो सकता है यह नज़्म मुझ से कुछ कहने के लिए उस ने लिखी हो...बस मैने भी कह दी अपनी बात:
# # #
यही
होनी है
नियति
उस आंसू की
जो
निकलता है
नयनों से
और
फांद कर
ह्रदय को
गिर पड़ता है
पांव में.
काश !
तेरा यह
उष्ण आंसू
भिगोता
कन्धा मेरा,
रख कर सर
जिन पर
भूल जाती
तुम
दुःख अपना...
मेरे साथ को महसूस करने और उसको और ज्यादा चाहने की भावनाओं के साथ कई दफा वह खुद के अकेलेपन को अपनी नज्मों में जाहिर करती थी...ऐसी कि एक नज़्म उसकी आप से शेयर करताहूँ:
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आंसू मेरा
आँख से
निकला.
रुखसार पर
ठहरा,
फिर
गिरा
पायल पर,
और
अपने ही
पांव तले
माटी में
समा गया.
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अब मुझे कैसे गवारा हो, उसके आँख का आंसू किसी 'और' में समाये....हो सकता है यह नज़्म मुझ से कुछ कहने के लिए उस ने लिखी हो...बस मैने भी कह दी अपनी बात:
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यही
होनी है
नियति
उस आंसू की
जो
निकलता है
नयनों से
और
फांद कर
ह्रदय को
गिर पड़ता है
पांव में.
काश !
तेरा यह
उष्ण आंसू
भिगोता
कन्धा मेरा,
रख कर सर
जिन पर
भूल जाती
तुम
दुःख अपना...
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