आ गए फिर जहां हुआ करते थे पहले.....
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भ्रम में हम यारों ,जिया करते थे पहले
आ गए फिर ,जहां हुआ करते थे पहले.
तृष्णा उभरी थी छलिया यौवन बन के
मतिभ्रम हमको कुछ ऐसे हुए थे पहले
अश्रु आ जाते हैं सोच के ही इसको
आख़िर क्यों तुम से हम ऐसे जुड़े थे पहले.
सज के रह गए फूलदानों में हम तो
अंतस के खिले पुष्प हुआ करते थे पहले.
सिर है कांधों पे या नश्वर माटी कोई
ज्ञानी हम पुकारे जाया करते थे पहले.
गिरे हैं गगन से और अटके खजूर में
चने के झाड़ पे जो चढ़े हुए थे पहले
एकाकीपन ही अब मेरा सहोदर है
सम्बन्ध ऐसे प्यारे कहाँ हुए थे पहले.
खुली है नींद और चेतना लौट आई
बिखरे हैं स्वप्न सगरे जो देखे थे पहले.
भ्रम में हम यारों ,जिया करते थे पहले
आ गए फिर ,जहां हुआ करते थे पहले.
तृष्णा उभरी थी छलिया यौवन बन के
मतिभ्रम हमको कुछ ऐसे हुए थे पहले
अश्रु आ जाते हैं सोच के ही इसको
आख़िर क्यों तुम से हम ऐसे जुड़े थे पहले.
सज के रह गए फूलदानों में हम तो
अंतस के खिले पुष्प हुआ करते थे पहले.
सिर है कांधों पे या नश्वर माटी कोई
ज्ञानी हम पुकारे जाया करते थे पहले.
गिरे हैं गगन से और अटके खजूर में
चने के झाड़ पे जो चढ़े हुए थे पहले
एकाकीपन ही अब मेरा सहोदर है
सम्बन्ध ऐसे प्यारे कहाँ हुए थे पहले.
खुली है नींद और चेतना लौट आई
बिखरे हैं स्वप्न सगरे जो देखे थे पहले.
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