Wednesday, 30 July 2014

बोये अर्थ -उगाए अक्षर......

बोये अर्थ -उगाए अक्षर......

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बोये अर्थ
उगाये अक्षर
शब्द फसल
उभरी है ,
अनुवादों के
जंगल में कब
मौलिकता
ठहरी है....

नचा रही
जग मंच पे
मुझ को
राग द्वेष की
डोर,
निज की मैं
सुन नहीं पाता
असमंजस है
घोर.....

झर झर आंसू
झरे नयन से
अनुभूति
मूक बधिरी है ,
बोये अर्थ
उगाये अक्षर
शब्द फसल
उभरी है ....

भावुकता के
क्षणिक असर को
माना था
संन्यास,
अनजाने में
मूल सत्व का
किया मै ने
परिहास..

मिथ्या भ्रम
अधिकोष के बाहर
अहम् मेरा
प्रहरी है,
बोये अर्थ
उगाये अक्षर
शब्द फसल
उभरी है...

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