Monday, 28 July 2014

आश्रित...

आश्रित...

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मैने किया
सर्वस्व अर्पित,
समझा तू ने
आश्रित,
ना समझा तू
बात ह्रदय की,
कर दिया
सब कुछ
विस्मृत...

परिभाषाओं के
इस अंतर ने,
कैसा खेल
रचाया,
भ्रम के परदे ने
अपने को
बना दिया
पराया...

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